________________
सप्टेम्बर २०१८
विउलं जणंति सद्धं, जह सीसो चंडरुद्दस्स ॥ १६७॥ चंडरुद्द गुरु रुद्द रोसि रीसाल २६१ विदित्तउ, उज्जेणि उज्जाणि२६२ सगुण सीसिहिंसिउं पत्तउ, नव-परिणीत कुमार हसिय पभणइ दिउ दुक्खा, सूरि सीस तस चंपि२६३ केस लुंचिय दिइ सिक्खा २६४ सो सीस भावि संजम लियइ मग्गि लग्ग २६५ गुरु सिरि धरी, तिम सहइ घाय २६६ दुव्वयण जिम लहइं बेउ केवलसिरी ५९ अंगारजीववहगो, कोइ कुगुरू सुसीसपरिवारो ।
२७०
जिहिं दिट्ठो, कोलो गयकलहपरिकिन्नो ॥ १६८ ॥ सो उग्गभवसमुद्दे, सयंवरमुवागएहिं राएहिं । करहो वक्खरभरिओ, दिट्ठो पोराणसीसेहिं ॥ १६९ ॥ गयकल२६७भे परिवरिउ सूयर २६८ सुमिणइ २६९ मुणि दिट्ठण [3], तिणि सहि नाणि सुसीस सहिय पुण कुगुरु अणिट्ठउ, निसि चंपइ अंगार सूगविण२७१ मन्नइ प्राणिउ, तव अंगारयमइ सूरि अभविय २७२ इम जाणिउ, सीस सवे निव-पुत्त हूय सूरि करह वक्खर २७४ भरिउ, तिर्हि देखि सयंवरि २७५ आवते २७६ पुव्व जम्म तक्खणि सरिउ. ६० संसारवंचणा न वि गणंति, संसारसूअरा जीवा । सुमिणगण विकेई, बुज्झति पुप्फचूल व्व ॥१७०॥ जो अविकलं तवं संजमं च, साहू करिज्ज पच्छा वि । अन्निअसुअव्व सो निअग - मट्ठमचिरेण साहेइ ॥ १७१ ॥ पुप्फवई - सुय पुप्फचूल भइणी २७७ तह भज्जा, सुमिणि नरयदुक्ख देखि पुप्फचूला वय - सज्जा २७८, अन्निय २९ सुय गुरु कज्जि खीण-जंघाबल जाणी, २८०आणंती सा भत्त-पाण हूय केबलनाणी, पुच्छे सूरि मह नाण कहिं सु२८१ पण गंग-भीतरि कहइ, तव दुट्ठ देवि-उवसग्ग सहि सुगुरू तत्थ केवल लहइ. ६१ देहो पिपीलियाहिं, चिलाइपुत्तस्स चालणि व्व कओ । तणुओ वि मणपओसो, न चालिओ तेण ताणुवरिं ॥१७४॥
१०७