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अनुसन्धान-७५(२)
अइ आदर दिक्खि२४५ सु कारणिहिं पाडलपुर तिणि परिहरिय. ५५ रूवेण जुव्वणेण य, कन्नाहिं सुहेहिं घरसिरीए य । न य लुब्भंति सुविहिआ, निदरिसणं जंबुनामुत्ति ॥१५३॥ अस्याः षट्पदः संतेवि० प्रागुक्तः ॥ उत्तमकुलप्पसूआ, रायकुलवर्डिसगा वि मुणिवसहा । बहुजणजइसंघट्ट, मेहकुमारुव्व विसहति ॥१५४॥ सेणिय-धारणिपुत्त मेह भज्जठ२४६ विमुक्किय२४७ वीरपासि वय लिद्ध बुद्धि निसि संजम चुक्किय४८, पुव्व जम्म परिकहिय२४९ पुण वि थिर किद्धउ वीरिहिं, बहु जइजण-संघट्ट सहइ अइ दुसह सरीरिहि, सो रायवंस-अवयंस मणित अप्प तृण सम गणइ, २५ चापरइ विजय-वेमाणि सुह रहिउ सिद्धि घर अंगणइ. ५६ सम्मद्दिट्टी कयागमो वि, अइविसयराग-सुहवसओ। भवसंकडंमि पविसइ, इत्थं तुह सच्चई नायं ॥१६४॥ चेडय५१-धूय सुजिट्ट'५२ सुद्ध महासय-अंगुब्भम, विज्जाहर पेढाल पुत्तु विज्जाबल दुद्दम, खायग२५४ सम्मदिट्ठि अंग इग्यारइ जाणइ, तहवि विसयरस-रंगि अंगि अति दूषण आणइ, उज्जेणि उग्ग वेसा५५वसिहि करेवि कूड हेला हणिउ, सो सव्वइं२५६ सच्चइ२५७ नरय गय विसय-दोस एरिस भणिउ. ५७ सुतवस्सिआण पूआ-पणाम-सक्कार-विणयकज्जपरो । बद्धपि कम्ममसहं, सिढिलेण दसारनेआ वा ॥१६५॥ बार२५“वईपुरि पत्त नेमि पहु केवलनाणी, दसदसार-नरनाह कन्ह निसुणइ जिनवाणी, सहस अढार मुनिंद-चंद विधि-वंदणि वंदइ, नरयभूमि चिहु दुक्ख-२५९रुक्ख निम्मूल निकंदइ, तित्थयर-गु२६०त्त बंधइ सुदृढ असुह-कम्म हेलां हरइ, पूजा प्रणाम वंदण विणय सगुण साहु संगति करइ. ५८ केइ सुसीला सुहमाइ, सज्जणा गुरुजणस्स वि सुसीसा ।