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________________ सप्टेम्बर २०१८ दड्ढपहारि वड चोर जाइ कुर्सीथलिसिउं चोरिहिं, खीरकज्जि धावंत विप्प मारिउ तिणि थोरिहिं८५, बंभण-भज्ज सगब्भ हणिय बालक फुरकंतउ८१, पिक्खवि भव-वेरग्गि लेइ संजम दिप्पंत १८७, १८८ संभरण-अवधि छंडिय असण तिणि जि गामि छम्मास रहि, १८९ अक्कोस बंध वह९० दुसह सह सिद्धि पत्त दुष्कर्म दहि. ४५ अहमाहउत्ति न य पडिहणंति, सत्ता वि न य पडिसवंति । मारिज्जंता विजई, सहंति सहस्समल्लु व्व ॥१३७॥ १९१वीरासण-सेवक्क सहसमल्लत्ति पसिद्धउ, कालसेन रिउ-राउ जेण बिहुं बाहिहिं बद्ध, तिणि गुणि संख - नरिंदि किद्ध सामंत विदित्तउ, वेरग्गिहिं व्रत लेवि तीण अरिदेसि पहुत्तउ, १९२ पच्चारिय पूरव बाहुबल कालसेनि कु( क ) ढाविउ९९३, सव्वट्टसिद्धि सुरवर सरिउ कोह तहवि तस नाविउ. ४६ अणुराएण जइस्स वि, सिआयवत्तं पिआ धरावे । तहवि य खंदकुमारो, न बंधुपासेहिं पडिबद्धो ॥ १४१ ॥ सावत्थी-निव कणयकेतु-सुय खंदग नामिहिं, दिक्ख लेवि जिणकप्प१९४ करइ विहरइ पुर गामिहि, व्रत लिद्धइं तस ताय नेहि सिरि छत्त धरावइ, तहवि अबद्धउं बंधु पासि कंतीपुरि ९४ आवइ, तस बहिन सुनंदा राय- घरि मग्गिजंतु तिणि दिट्ठ मुणि, नरवर अलीक शंका धरिय हरिय प्राण तस तिणि रयणि ४७ माया नियगमइविगप्पिअम्मि अत्थे अपूरमाणमि । पुत्तस्स कुणइ वसणं, चुलणी जह बंभदत्तस्स ॥ १४५ ॥ दीर्घसिउं रइ-रत्त-चित्त- चुलुणी मयणा १९ तुरि, बंभदत्त निय पुत्त दहण दक्खइ १९८ लक्खाहरि९९९, वरधन मंत्रि सुरंग संगि रक्खिउ परपंचिर्हि ", फिरिय फिरिय महि-मज्झि रज्ज पुण लहइ सुसंचिहिं, १०३
SR No.520577
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages338
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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