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सप्टेम्बर - २०१८
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पायालिहिं चमरिंद चमरचंचा हिव हूय तिण, अभिमाणि सग्गि सोहम्मि गयुं वज्ज-दंड पिक्खवि पु(प)लिउ,१६० सिरि वीरनाह-पयतलि रहिओ तउ सयल वि घंघलु'६१ टलिउ. ३८ कारणनिययवासे, सुट्टअरं उज्जमेण जइअव्वं । जह ते संगमथेरा, सपाडिहेरा तया आसि ॥११०॥ अस्याः षट्पदस्तु 'वुड्डावासे वी'ति गाथायामुक्त एव ।। थेवोवि गिहिपसंगो, जइणो सुद्धस्स पंकमावहइ । जह सो वारत्तरिसी, हसिओ पज्जोयनरवइणा ॥११३॥ सुंसुमारपुर रोहि कहइ निव सउण समीहओ६२, वारत्तय'६३-रिषि भीय बाल प्रति भणइ म बीहउ, इय वयणह-बलि धंधमारि पु(प)ज्जोय सु जितउ, नेमित्तिउ६५ भणइ हसइ राउ रिसि-पासि पहुत्तउ, इम गिहि-पसंग सुद्धयं मुणिहं थोडउ अइ-मालिन्नकर'६६ परिहरइं दूरि इण कारणिहं सव्व संग चारित्त-धर. ३९ जो निच्छएण गिण्हइ, देहच्चाए वि न य धिई मुयइ । सो साहइ सकज्जं, जह चंदवडिंसओ राया ॥११८॥ चंदवडिंस६७ नरिंद नयरि साकेइ१६८ सुसावय, निश्चिई निय आवासि सुद्ध सामाइय ठावय,१६९ दीव अवधि कासग्ग करिय निच्चल पालइ, दासी पुण दीवेल घल्लि चउ पहर ऊजालइ, पूरिय-प्रतिज्ञ प्रह ऊगमणि परम प्रीति पामिउ पवर, सुकुमाल-अंग सुह-झाण-मण सग्गलोइ संपन्न सुर. ४० धम्ममिणं जाणंता, गिहिणो वि दढव्वया किमुअ साहू। कमलामेलाहरणे, सागरचंदेण इत्थुवमा ॥१२०॥ सावय सागरचंद रहिउ कासग्गि महा वनि, कमलामेला-हरण-वैर नभसेन धरइ मनि, १७°घल्लइ सिरि अंगार तहवि सो झाण-निरत्तउ, पोसहव्रत द्रढ पालि टालि दुह सग्गि पहुत्तउ,