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________________ ९२ अनुसन्धान-७५ (२) वाणारसि नयरी नरिंद नामिहिं संबाहण, पुर अंतेउर पवर" अवर हय गय बहु साहण, २० कन्ना सहस सुरू अछइ पुण पुत्त न इक्कय, २१ राय पत्त पंचत्त र लच्छि लिवइ रिउ ढुक्कय, २३ नेमित्ति४-वयणि राणी-ऊयरि कुंयर जाणि पट्टिहिं ५ च (ठ) विउ तिणि अंगवीरि अरि त्रासवी रज्ज बंध सहु राहविउ. २६६ किं परजणबहुजाणावणाहिं, वरमप्पसक्खियं सुकयं । इह भरह चक्कवट्टी, पसन्नचंदो य दिठंता ॥२०॥ किय- शृंगार उदार अंग आरीसइ ७ पिक्खइ ", पाणि-पडी मुंद्रडी सयल तणु तिणि परि दिक्खई", अंतेर आवासि पासि भव-वासि विरत्तउ", भरहेसर वर झाण नाण केवल संपत्त, एउ चक्कवट्टि विसयारसिहिं रमइ रंगि जणु इम गणइ, तसु अप्प - कज्ज अप्पि हिं सरिडं किं पर जण जाणावणइ. सेणिय करइ पसंस दुमुह दुव्वयणि निवारइ, रायरक्षि कासग्गि रसिउ रणि अरिअण मारइ, सिक्ख - कज्जि सिरि हत्थ घल्लि " संजम संभालइ, मनिहिं बद्ध बहु पाप आप आपिर्हि" पक्खालइ, गति कहइ वीर सत्तम नरय मगहराय अचरिज भरउ, तिणि समइ देव जय जय भणई प्रसन्नचंद्र केवलि जयउ. ८ धम्मो मण हुंतो, तो नवि सीउण्हवायविज्झडिओ | संवच्छरमणसिओ, बाहुबली तह किलिस्संतो ॥२५॥ ३२ ७ रह सरिसु बल झुज्झि बुज्झि ७ संजम अणुसरयु, कुण वंद लहु भाय ठाय तिणि कासग" करयु, इह ऊपा (प्प?)नं नाण माण धरि वछर ९ रहियु, सहइ भुक्ख बहु दुक्ख तहवि नहु केवल लहियु, निय बहिनि बंभि सुंदरि - वयणि मयगल जव परिहरइ, रिसहेसर-नंदण बाहुबलि सयल कज्ज ततक्खणि सरइ. ९
SR No.520577
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages338
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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