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________________ सप्टेम्बर - २०१८ त्वामामनन्ति मुनयः परमं पुमांसं आदित्यवर्णममलं तमसः परस्तात् । त्वामेव सम्यगुपलभ्य जयन्ति मृत्यु नान्यः शिवः शिवपदस्य मुनीन्द्र ! पन्थाः ॥ सार ओक ज : आदिपुरुष माटे कविनी कल्पना अने भक्तनी भक्ति क्यारेय थाकी नथी, थाकवानी पण नथी. दादा ऋषभदेवना जीवनने केन्द्रमा राखीने श्रीमतीबहेन टागोर नामना चित्रकारे छ अद्भुत चित्र-फलको निर्त्यां छे. ते चित्रो पालीताणा म्युझियममां कायमी धोरणे प्रदर्शित छे. श्रीमतीबेन टागोर मूळे जैन, अमदावादना हठीसिंह केसरीसिंह परिवारनां. तेओ लग्न बाद टागोर कुटुम्बना बन्यां हतां. स्वयं मोटा गजानां चित्रकार हतां. ओमणे पश्चिम भारतनी जैन चित्रशैलीमां पोताना आधुनिक अने छतां मनभावन अने गरिमापूर्ण कला-संस्पर्शनुं संमिश्रण कयें, अने अतिदिव्य कही शकाय तेवां छ पूरा कदनां चित्रो आलेख्यां. ओ चित्रो मूळे भारतीय लघुचित्र-शैलीना विस्तरणरूप तथा आधुनिक संस्करणरूप हतां. ऋषभदेवनी, आ लेखमां नोंधी छे ते तमाम, आदिम प्रक्रियाओ आ चित्रोमां तादृश आलेखी बतावी छे. आ आदिपुरुषनां चरण-चिह्नो क्यां क्यां विखेरायेलां के पथरायेलां जोवा मळे छे, पण जोवा जेतुं छे. मूर्ति तो कदाच बहु मोडेथी बनी हशे अमनी, पण अमनां पगलां ज्यां पड्यां हशे त्यां अमनां चरण-चिह्नो अवश्य अंकित थयां हशे, अने तेनी उपासना आदिकाळथी आज पर्यन्त चाली रही छे. __दादा ऋषभदेव तक्षशिला - बहली देशना आंगणे पधारेला अने दीकरो बाहुबली तेमने मळे ते पहेलां तेओ त्यांथी विहरी गया. ते पछी आवेला अने तेमना विरहनी आगमां शेकाईने कारमुं कल्पान्त करी उठेला बाहुबलीनी ओ चीस जाणे आ क्षणे पण आपणा काने अफळाय छे ! अणे दादानां पदचिह्नो पर जे पीठ रची अने जगत आलुं निरन्तर ओ पदचिह्नोने निहाळी-पूजी शके तेवी योजना करी, ते विश्वना कोईक प्रदेशे आजे पण मौजूद होवानी प्रतीति मळ्या करे
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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