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________________ ८२ अनुसन्धान- ७५ (१ ) छे. जैन आचार्योओ ते स्थळने धर्मचक्रतीर्थना नामे पिछाण्युं छे. आजे ते अन्य कोई नामे ओळखातुं हशे तेनो अधिकार तथा तेनी उपासना पण अन्योना हाथमां हशे. परन्तु ते उपासना पद्धतिमांथी ओक जीवहिंसाना तत्त्वने काढी नांखवामां आवे तो ते समग्र पद्धति जैन उपासनानी पद्धति साथे विलक्षण कही शकीओ तेवो तालमेळ धरावती होवानुं जाणी शकाय तेम छे. एम लागे छे के दादा ऋषभदेव साधे से प्रजानो निकटनो नातो हशे . श्रीलंका पासेनो Adams Peak तरीके जाणीतो ऊंचो पहाड, ते पर टोचे प्रस्थापित Foot Prints चरण-चिह्न जेनां छे ते 'आदम' कोण ? आदिपुरुष ज तो! ते पहाड पण पवित्र मनायो छे. अमूक नियमोपूर्वक ज अने पगपाळा पगथियां चडीने ज त्यां पहोंची शकाय छे. अ स्थाने जवानो अधिकार कोई अमुक वर्गने ज भले होय, परन्तु अ बधा पण आदिपुरुषना ज चरणसेवक होवानुं मानी तो आपत्ति शी ? अने आपणो शत्रुंजय-पहाड तो आपणे त्यां केटलो बधो जाणीतो अने पवित्र मनायो छे ! तेनी टोच पर आदिप्रभु ९९ वार आव्या अने तेनी स्मृतिमां रायण - सिद्धवड वृक्ष नीचे ओमनां पगलां के चरण-चिह्न निर्माण पाम्यां, ते तो आजे पण त्यां पूजाय छे ! दादानी देहप्रमाण प्रतिमानुं निर्माण जो शक्य न होय, तो मना विशाळ चरणोनी छाप तो साचवीओ ज आवा कोई भाव साथे ज अ पद-चिह्नो सचवायां हशे ने ? आम, दादा आदिनाथनां चरण-चिह्नो विश्वमां अनेक स्थाने ओक या बीजा नामे-स्वरूपे आजे पण विद्यमान छे अने पूजाय छे, ओ केटलुं अद्भुत गणाय ! * * *
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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