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________________ ८० अनुसन्धान- ७५ ( १ ) नवलकथा (उपन्यास)मां, राजपुरोहित ऋषि वशिष्ठना वंशजना मुखे, आदिनाथ माटे आवा शब्दो उच्चराव्या छे : "महाराज इक्ष्वाकु के पूर्वज महान् द्वादश आदित्यों के महान् मातामह कुल में जन्मे स्वायंभुव मनु के प्रपौत्र, महाराज नाभि के यशस्वी, महामति, जितेन्द्रिय, आत्मज्ञानी, निःसंग, नग्न, त्रिगुणविरहित परमहंस पुत्र ऋषभदेव" (एकदा नैमिषारण्ये - पृ. ४८, २०१५ ) तो जैनवेद तथा आर्यवेद तरीके ओळखानारा वेद-ग्रन्थोमांनो अक वेदमन्त्र ‘आचारदिनकर' नामना ग्रन्थमां सचवायेलो मळे छे, तेमां आ आदिपुरुष माटे प्रयुक्त विशेषणो आवां छे : आदिमोऽर्हन्, आदिमो नृप:, आदिमो यन्ता, आदिमो नियन्ता, आदिमो गुरुः, आदिमः स्रष्टा, आदिमः कर्ता, आदिमो भर्ता, आदिमो जयी, आदिमो नयी, आदिमः शिल्पी, आदिमो विद्वान्, आदिमो जल्पक:, आदिमः शास्ता, आदिमो रौद्र:, आदिमः सौम्यः, आदिमः काम्यः, आदिमः शरण्यः, आदिमो दाता, आदिमो वन्द्यः, आदिम: स्तुत्य:, आदिमो ज्ञेय:, आदिमो ध्येयः, आदिमो भोक्ता, आदिमः सोढा, आदिमः एकः, आदिमोऽनेकः, आदिमः स्थूलः, आदिमः कर्मवान्, आदिमोऽकर्मा, आदिमो धर्मवान्, आदिमोऽनुष्ठेयः, आदिमोऽनुष्ठाता, आदिमः सहन:, आदिमो दयावान्, आदिमः सकलत्रः, आदिमो निष्कलत्रः, आदिमो विवोढा, आदिमः स्थापकः, आदिमो ज्ञापकः, आदिमो विदुरः, आदिमः कुशलः, आदिमो वैज्ञानिकः, आदिमः सेव्यः, आदिमो गम्यः, आदिमो विमृश्यः, आदिमो विमृष्टाः "... चौदमा शतकना ग्रन्थमां संकलित आ मन्त्रमां आदिपुरुष आदिनाथजीनी सघळीये लाक्षणिकताओ अभिव्यक्त पामी छे, भेटले आ मन्त्र पण आकर्षणनो विषय बने छे. ‘ऋषभतर्पण' नामनी, १७मा सैकानी अक अपूर्व रचनामां आदिनाथजी दादा माटे आवां विशेषणो जोवा मळ्या छे : " आदिपुरुषाय प्रथमभूपतये श्रीनाभिजन्मने वृषभध्वजाय श्री मरुदेवोत्सङ्गसङ्गिने" । भक्तामर स्तोत्रना उद्गाता कवि मानतुङ्गाचार्य तो वळी आ आदिपुरुषनी स्तवना उपनिषदना ऋषिनी भाषामां करे छे :
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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