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________________ 6 आवरणचित्र - परिचय गुजरात ने राजस्थान ए बे प्रदेशोनी विविध चित्रशैलीओ तेम ज पोथीचित्रो कलाजगतमां सुख्यात छे. पोथीनां चित्रो 'लघुचित्र ' ( Miniatures) तरीके ओळखाय छे. आम तो विविध धर्मना ग्रन्थो के पछी इतर ग्रन्थोनी पोथीओ सचित्र मळी छे; परन्तु तेमां जैन पोथीचित्रोनुं प्रमाण सौथी अधिक अने खूब विपुल मात्रामां छे. जैन पोथीचित्रो विविध शैलीओमां आलेखायेलां जोवा मळे : राजस्थाननी विविध शैलीओमां, राजपूत शैलीमां, मुघल शैलीओमां तेम ज मालवानी, माण्डूनी, जौनपुरनी, बंगाळनी - एवी अनेक चित्रशैलीओमां आलेखायेलां जैन चित्रो उपलब्ध छे. जैनोए विकसावेली पोतानी आगवी चित्रशैली, जे 'जैन शैली' तरीके जाणीती छे, तेमां तो अढळक पोथीचित्रो प्राप्त छे ज. कलाविदो आ जैन शैलीने गुजरात शैली, पश्चिम भारतीय शैली, अपभ्रंश शैली जेवां नामे ओळखवानुं वधु पसंद करे छे. तेने 'जैन' नामे ओळखवामां तेमने साम्प्रदायिकता के धार्मिकतानी बदबू आवे छे. जो के वैष्णव स्वामीनारायण के बौद्ध पोथीचित्रोने ते ते धर्मना नामे ओळखवामां तद्विदोने तेवी बदबू नथी आवती, ते जाणवा जेवुं छे. जैनोए ११माथी १९मा शतक सुधी कला अने कलाकारोने एकधारुं पोषणप्रोत्साहन आप्युं छे. २०मा अने २१मा शतकमां पण पोथीलेखन अने चित्रो वडे पोथीओने शणगारवानां कार्यो जैनोए अविरतपणे जाळवी राख्यां छे, जेनो ख्याल बहु ओछाने हो. गुजरात, मारवाड, महाराष्ट्र, ओरिस्सा वगेरे प्रान्तोना सेंकडो लहिया तथा चित्रकारोने आजे पण जैन समाज पोपे छे, अने तेमनी पासे कला - कार्य अने लेखनकार्य करावी एक बाजु कलाने चिरंजीव बनावे छे, तो बीजी बाजु ते कारीगरोने रोजीरोटी पूरी पाडे छे. आटलुं प्रासङ्गिक हवे मूल वात : जैन आगमोनी एवी सेंकडो पोथी मळे, जेमां एक-बे के बे-चार चित्रो होय. पण आगमसूत्रनी आखी पोथी चित्रोथी भरेली होय एवं बहु ओछु बने. कल्पसूत्र तथा उत्तराध्ययनसूत्र जेवां सूत्रोनी पोथीओने बाजुए राखी ए तो, अन्य कोई आगमनी पोथीमां ६०-७० के तेथीये वधु चित्रो होवानी शक्यता नहिवत् ज गणाय. अहीं जे चित्रो आवरण- - पृष्ठो पर आपवामां आव्यां छे, ते आवी ज एक आगमपोथीनां चित्रो छे. वर्तमानमां उपलब्ध अने मान्य एवां ४५ आगमोमां 'रायपसेणीय' नामे एक उपाङ्गसूत्र (आगम) छे. तेनी २०मा सैकामां (१९२३) आलेखायेली एक पोथी छे. २७१ पानांनी आ पोथीमां मूळ प्राकृत आगमसूत्र, तेनो टबार्थ (मारुगुर्जर भाषामा) तेम ज ७० लगभग सुन्दर चित्रो छे. केटलांक तो आखा पानानां चित्रो छे.
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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