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________________ 7 पोथी राजस्थानना भणसाली सुभकरणना पुत्र मुथरादास नामे गृहस्थे लखावी छे, अने तेमना सहोदर भाई गंगारामे लखी छे, तेवो उल्लेख पृ. २७१ / २ परनी पुष्पिकामां जोवा मळे छे. 'रायपसेणीय'नुं संस्कृत रूपान्तर थाय 'राजप्रश्नीय'. प्रस्तुत 'अनुसन्धान' ७५-१ मां ते पैकी ४ चित्रो आपवामां आव्यां छे. तेनो सामान्य परिचय आम छे : आवरण पृष्ठ १ : पोथीनुं आ प्रथम पानुं छे. तेमां लखाणवाळा हिस्सामां मध्यमां त्रण लाल अने एक काळा अक्षरो धरावती पंक्तिओमां सूत्रनो प्रारम्भिक मूळ पाठ छे. मथाळानी ३ पंक्तिमां तेनो बालावबोध (अर्थ) छे. चित्रना बे विभाग छे. खरेखर तो बे चित्रो ज छे. प्रथम चित्रमां, अरिहन्त (मध्यवर्ती, श्वेत), सिद्ध (लाल), आचार्य (पीळो), उपाध्याय (नील), साधु (श्याम), ए पांच परमेष्ठीनां चित्राङ्कन छे. शेष चार खानामां नवकारगत ते ५ना नमस्कारनो अर्थ तथा 'रायपसेणीय' सूत्रनो परिचय लखेल छे. तो बीजा चित्रमां, सूत्रमां जेनो उल्लेख थाय छे ते 'आमलकल्पा' नगरीनुं मनोरम दृश्य दर्शावायुं छे. एमां हवेली छे, उपवनो छे, राजमार्ग अने ते पर चालता नगरजनो छे, तो हाटमां बेसी वेपार करतां व्यापारीओ पण देखाय छे. देवमन्दिर पण मार्गनी वच्चोवच चोकमा देखाय छे. नगरने फरतो कोट पण, द्वार समेत, लाल रंगे दर्शाव्यो छे. आवरण पृष्ठ ४ : आ पोथीनुं छेल्लुं - २७१मुं पत्र छे. ते परनी पुष्पिका (Colophan) आ प्रमाणे वंचाय छे : (१) टबो : " इती श्रीराजप्रसेन बीजा अंगना सूत्र तथा टबार्थ समाप्तं, टबा पुरा लीख्या माहा सुदि १५ को "पुरा लीख्या" 1 (२) मूलग्रन्थ : " इतिश्रीरायप्रसेणीसूत्र टबा अर्थ समाप्तं । संवत १९२३ आषाड सूदि १४ बुधवासरे लिखतं । सुश्रावक पुन्यप्रभावक भणसालीगोत्रे साहजी श्री ५ सुभकरणदास ततपुत्र कूलदीपकं मुथरादासेन लिखावितं । आपणा आत्माते । लीखतं सहोदर भाई गंगारामेणं । श्रीकल्याणं ॥ " (३) चित्र - परिचयनुं लखाण : "सुसाधुजी रायप्रसेनी वाच रहे छे : मुथरादास सपरिवार सांभलइ छइ" । लखाण पूरुं थाय त्यां चित्र छे. सुन्दर उपाश्रयनुं चित्र. तेमां उपर पाकुं धाबुं अने ते पर नाना मोटा गवाक्ष. कमाननी सरस रचना मकानने त्रण विभागमां वहेंची आपे छे. मध्यना बृहद् विभागमां पीठ पर साधु बेठा छे, तेमनी सामे ठवणी (सापडा) उपर 'रायपसेणी' ग्रन्थनी पोथी छे, तेनुं नाम वंचाय छे. सामे बे जणा बेठा छे : पाघडी अने उत्तरासंग (खेस) परिधान करेला ते बेमां १ मुथरादास अने २
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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