SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 74
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनुसन्धान-७५(१) जैन अने जैनेतर संशोधको, विद्वानोने अहीं निमन्त्रवामां आवे छे. सर्वश्री लाभशंकर पुरोहित, हसुभाई याज्ञिक, निरंजन राज्यगुरु, मनोज रावल, नाथालाल गोहिल - आ बधां नामो अहीं आदरपूर्वक लेवाय छे. सर्वश्री कनुभाई जानी, वसन्त परीख जेवा विदग्ध विद्वानोने जैनधर्मी होवा - न होवानो ख्याल कर्या विना सर्वोच्च सन्मानो अपायां छे. __कोई व्यापक-विशाळ दृष्टिपूत व्यक्ति ज्यारे संशोधन पत्र शरु करे त्यारे कोई वाडाबन्धी तो होय ज नहि, मेनो उत्तम दाखलो 'अनुसन्धान' मुखपत्र छे. 'अनुसन्धान'ना हरओक अङ्कमां प्रगट थता, उभराता साहित्य-संशोधन पर नजर नाखीओ तो ख्याल आवशे के अहीं साहित्यनी केटली मोटी सेवा थई रही छे. 'अनुसन्धान'मां अभरे भरेला साहित्यनी समृद्धि विशे विद्वानो विगते लखशे... अहीं तो आ विरल मुखपत्रनी गरिमा अने एना प्रेरकनी सूक्ष्मैक्षिका दृष्टिने वन्दन करीने धन्यता अनुभवीओ....
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy