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अनुसन्धान-७५ (१)
सांभळवानुं सद्भाग्य प्राप्त थयुं. नवां प्रकाशनो तथा तत्कालीन सारी-माठी घटनाओ विशेनी जाणकारी, पू. महाराजसाहेबना आदेशने कारणे पराणे पराणे पण 'अनुसन्धान' ना पानांओ पर छपायेली मारा नाम साथेनी सामग्री... ओम ओक आनन्ददायक विद्याप्रवृत्तिनी थोडी क स्मरणयादी आपी दईश, पण 'मानव जाणे में करुं... करतल दूजो कोई, आदरियां अधवच रहे, हरि करे सो होई...' न्याये कलममांथी शुं नीतर्युं छे से तो खबर नथी पण अक नानकडी भावअंजलि वागीश्वरना चरणोमां....
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C/o आनन्द आश्रम घोघावदर (गोंडल)