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________________ सप्टेम्बर - २०१८ लईश. पण, ओम कांई आ शब्दचुंबक छुटे ? ओक ओक अङ्क हाथमां लउं ने पानां फेरवू त्यां कोईने कोई पानां उपर नजर चोंटी जाय. हा, संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंशनी जैन-जैनेतर प्राचीन मूळ रचनाओ, जैन दर्शननी साम्प्रदायिक परिभाषा धरावती रचनाओ, अंग्रेजी लखाणो... वगेरे माटे आपणी मति-शक्ति खाडा खाबोचियांनी देडकी जेटली. पण दरेक अङ्कना आरम्भे ज लखायेल सम्पादकीय, कोई पण कृति विशे लखायेला स्वाध्यायलेखो, ढूंकनोंधो, पत्रचर्चाओ, नवां प्रकाशनोनी माहिती, समकालीन सारी-माठी घटनाओनी नोंध, कार्यक्रम अहेवालो, विशेषांको अने आगळना अङ्क के अङ्को विशे परम आदरणीयश्री भुवनचन्द्रजी म.सा. द्वारा लखायेल विहंगावलोकन... अम अनेकविध स्तरनी सामग्री चित्तने रोकी राखे, फरी फरी आखं वांचवा मजबूर करे. ओम करतां पूरा बे दिवस ने रात सतत 'अनुसन्धान'मय रह्यो. बीजुं कशुं सूझतुं ज नहोतुं. वच्चे बे-चार महेमानो आव्या ओने चा-पाणी खाईने विदाय करवानी तलपापड मनमा रहेती. पीएच.डी. माटे अभ्यास करती अंक दीकरी जूनागढथी आवी, अने जरूरी सन्दर्भग्रन्थोनो ढगलो करी दीधो अने का : 'बेन ! तारे उपयोगी होय ओ पुस्तकोमाथी सामग्रीना फोटा पाडी ले, नोंध करी ले, अत्यारे तारी साथे विगतवार चर्चा करी शकुं ओवी मारा चित्तनी स्थिति नथी, हुं थोडंक लेशन करवामां पड्यो छु.' ___ आम सचवायेला अङ्कोनी संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश, जूनी गुजराती, हिन्दी, अंग्रेजी अने वर्तमान शिष्ट गुजराती ओम सात सात भाषाओमां लखायेली सामग्रीमांथी अक्षरशः नहीं पण पानेपानुं फेरवीने पसार तो थई गयो पछी मूंझाणो. हवे आना विशे लखवू शुं? पू. महाराजसाहेब, भायाणीसाहेब, जयंतभाई कोठारी अने अन्य विद्वानो साथेनो आ समयगाळामां थयेलो पत्रव्यवहार जे मारा कोम्प्युटरमां टाईपसेट करीने राख्यो छे अमां पण मारी नजर फरी वळी अने चित्त फरी अपार ग्लानिथी उभरातुं रघु. ओह ! केटकेटली उघराणीओ, केटकेटली शीखामणो, केटकेटला दिलासाओ... मारी पलायनवृत्ति, मारी आळस, मारी बेदरकारी, मारो प्रमाद... बधुंज आंखो सामे तरवरतुं रह्यं. पहेलां तो मनमां हतुं के 'अनुसन्धान'ना अङ्को साथेनुं मारे जोडाण, माझं घडतर, केटकेटला विद्वत्जनो, बहुश्रुत पण्डितो, साधु-साध्वीजीओ, संशोधको, कवि-कलाकारोना प्रत्यक्ष परिचयमां अवायु, अमने
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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