SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 70
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५८ अनुसन्धान-७५(१) ज्यारे ज्यारे मळवार्नु थाय त्यारे अमना मनमां अक ज वात वारंवार घुमराया करे : "निरुभाई ! 'अनुसन्धान'मां प्रकाशित पू. आचार्यश्री शीलचन्द्रसूरिजीना दरेक सम्पादकीयर्नु संकलन करीने अेक पुस्तक अवश्य तुरतमां ज थर्बु जोईओ, जे कोई पण विद्याशाखाना संशोधनक्षेत्रमा अभ्यास करता संशोधक / विद्यार्थीओ माटे हेन्डबुक बनी रहे ओवी क्षमता धरावे छे..." 'नामूलं लिख्यते किञ्चित्' आधार विनानुं कई पण न लखवू. ओ शास्त्रीय नियमनुं अनुसरण कठोरपणे बीजाने माटे करनारा इतिहासकारो पण मनुष्यसहज पूर्वग्रह, प्रमाद, अनवधान, असूया, ईर्ष्या, अदेखाई, लोभ, लालच, पद-प्रतिष्ठा, पैसो, ज्ञाति, जाति, कोम, धर्म, पंथ, सम्प्रदाय, विचारधारा, पक्ष, प्रदेश, भाषा... जेवी कोईने कोई कट्टर ग्रन्थि लईने ज्यारे आलेखन करे अने पोताना समकालीनो के पुरोगामीओना संशोधनमांथी नानकडी क्षति शोधीने मोटा पहाड जेवडी चितरे, पोतानी कोई मनघडंत-बनावटी तथ्यो ऊभां करीने - ट्रंकी दृष्टिना खेल करीने-सिद्ध करेली वातने कोई पडकारे त्यारे उश्केराई जईनेपोताने पडकारतां विधानोना प्रमाणभूत जवाबो आपवाने बदले निराधार तर्को द्वारा जुदा ज विषयनी चर्चा करीने वातने आडेपाटे चडाववानी कोशीश करे त्यारे ओ केवा हास्यास्पद लागे छे अनुं भान नथी रहेतुं. अने ओ याद नथी रहेतुं के आपणा पछी आवनारी भविष्यनी पेढीना संशोधको आपणाथी अनेकगणुं लांबुं जोई शकवाना छे. कारण के ओ पुरोगामी विद्वानो तथा आपणा द्वारा थयेला संशोधनना खभा पर बेठा छे. अनी नजर आपणाथी लांबी ज होवानी. वळी आजे तो केटकेटली संशोधन सुविधा ओमने माटे सहज प्राप्त होवानी. जगतभरना साहित्यसंशोधन-प्रवाहोथी ओ क्षणभरमा परिचित थई शके. ओमना हाथनी मुठ्ठीमां रहेला मोबाईलना किबोर्ड अने आंगळीना टेरवे आजे केटकेटला ग्रन्थभण्डारोहस्तभण्डारोना अमूल्य-अप्राप्य ग्रन्थो अक्षरशः खोली शके, वांची शके, प्रिन्ट काढी शके अने कोईने मोकली शके छे. कबाटमाथी मारे त्यां सचवायेला 'अनुसन्धान'ना नंबर १६ (अप्रिल २०००)थी ७४ (२०१८) अने आगळना १३ तथा १४ मळी कूल ६१ अङ्को बहार काढीने बेठो त्यारे मनमां हतुं के अकवार खाली उपरछल्ली नजर नाखी
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy