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________________ सप्टेम्बर - २०१८ ५७ आचार्यश्री विजयशीलचन्द्रसूरिजी महाराज द्वारा साहित्य अने संशोधनना क्षेत्रमा ओक अति महत्त्व, कार्य ओ थयु के, गुजराती भाषा-साहित्यना संशोधन/अध्ययन/ अध्यापन साथे जोडायेला नवी पेढीना केटलाक सर्जको-संशोधको आपणा प्राचीन जैन-जैनेतर साहित्यनी दिशामा रस लेता थया. केटकेटली कलमो वहेती थई छे आ नानकडा सामयिक द्वारा ?... अने 'अनुसन्धान ना माध्यमथी ज आपणा मूर्धन्य विद्वानो पं. श्री दलसुखभाई मालवणिया, श्री हरिवल्लभ भायाणी, श्री शांतिभाई शाह, श्री उमाकान्त शाह, श्री नगीनभाई शाह, श्री के. आर. चन्द्रा, श्री सत्यरंजन बेनरजी, श्री जयंत कोठारी, श्री मधुसूदन ढांकी, श्री लक्ष्मणभाई भोजक, श्री कनुभाई जानी, श्री लाभशङ्कर पुरोहित, श्री हसुभाई याज्ञिक, श्री वसन्तभाई परीख, डॉ. नलिनी बलबीर, डॉ. सागरमल जैन वगेरे भारतीय तथा विश्व कक्षाना विद्वानोने श्री हेमचन्द्राचार्य चन्द्रक अर्पण थया. गोधरा, महुवा, सुरत, तगडी अने अमदावादमां 'अनुसन्धान'ना माध्यमे योजायेला परिसंवादो तथा साहित्यगोष्ठिओ द्वारा केटलीये निष्क्रिय कलमोने फरी चेतनवंती बनाववानुं कार्य थतुं रह्यु. संशोधनक्षेत्रनी दुष्कर परिस्थिति अने विद्वानोनी कारमी अछतना समये संसारत्यागी-वीतरागी युवान साधु-साध्वीजीओ द्वारा सम्पूर्ण प्रमाणभूत अने वैज्ञानिक ढंगथी संशोधन/अध्ययन/सम्पादन अने प्रकाशनोना क्षेत्रमा ओक नवो ज प्रकाश जोवा मळ्यो. 'अनुसन्धान'ना अङ्को आनन्दआश्रम सन्तसाहित्य सन्दर्भ ग्रन्थालयमां सचवाया छे, वारंवार अवकाश मळ्ये फरीफरी अना पर नजर नांखवानुं बने. जेटलीवार वांची ओटलीवार कंईक नवो दृष्टिकोण नजर सामे आवे. कोई चोक्कस धर्म-पंथ-सम्प्रदाय-फांटा-शाखाना वाडामां बंधाया विना निर्भीकपणे मात्र सत्यने ज उजागर करवानी नेम साथे जे सम्पादन आजसुधी थतुं रमु अनी प्रतीति दरेक अंकमां थती रही छे. आजसुधीना अङ्को विषयफलक अटलुं विस्तृत छे के कोईपण विद्याशाखाना संशोधक अभ्यासी-विद्यार्थीने पोताना विषयमां निष्ठा अने सूझथी कई रीते काम करवू अनुं सचोट मार्गदर्शन मळी रहे. मध्यकालीन जैन-जैनेतर साहित्यमांनी अगणित हस्तप्रतो आजे पण अनेक हस्तप्रतभण्डारोमां सचवाई रही छे, पण अनो पुनरुद्धार करनारुं 'अनुसन्धान'नी तोले आवे अर्बु अक पण सामयिक मारी नजरे नथी आवतुं. प्रिय सन्मित्र मनोज रावल साथे
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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