SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 66
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५४ अनुसन्धान-७५(१) हजी ओक दरवाजे दीवो बळे छे... - निरंजन राज्यगुरु 'अनुसन्धान'नो ७५मो अंक तैयार थई रह्यो छे त्यारे मरमी कविश्री मकरन्दभाईनी 'आ बिस्मार दुनियाने कोई बतावो, हजी ओक दरवाजे दीवो बळे छे...' काव्यपंक्तिओ सतत मारा चित्तमां घुमराय छे. ई.स. १९९३थी शरु करीने २०१८ सुधीना पूरां पचीस वर्षांनी अविरत संशोधनयात्रामां अनेक पडावो आ सामयिके सर कर्या छे. मारे मन 'अनुसन्धान' ओक जैन धर्मनुं-जैन साहित्यसामयिक मात्र नथी, समग्र साहित्यक्षेत्र, तमाम विद्याशाखाओ, तमाम भारतीय धर्म-पन्थ-सम्प्रदायोनी विधविध धाराओ, संस्कृत-प्राकृत-अपभ्रंश, जूनी गुजराती, डिंगळ-पिंगळ, चित्र-शिल्प, इतिहास, भाषा-प्रदेश, संस्कार, संस्कृति, साधनापरम्पराओ, दर्शनो अने जीवतरनां लगभग तमाम पासांओने उजागर करवा मथनारा अभ्यासीओ माटे पथप्रदर्शक दीवादांडी बनी शके ओवी विचारप्रक्रिया छे. 'भौतिक दुनियानी कोईपण बाबत करतां विद्याप्रीति अने विद्याकार्य जराय ओछु के हलकुं-नकामुं-बिनउत्पादक नथी.' अम परम आदरणीय भायाणीसाहेबना शब्दो नीकळे अने आ अनियतकालीन-अनरजीस्टर्ड पत्रिकानो जन्म थाय, नाम पण भायाणीसाहेब ज आपे. जेनो मुद्रालेख होय - 'मुखरता सत्य वचननी विघातक छे.' (ठाणंग सूत्र-५२९) अने आ पत्रिकानो उद्देश होय - 'प्राकृत भाषा अने जैन साहित्य विषयक सम्पादन, संशोधन, माहिती वगैरेनी पत्रिका'. जेना पायामां परम वन्दनीय पूज्य आचार्यश्री विजयसूर्योदयसूरिजी महाराज साहेबना आशीर्वाद होय, परम आदरणीय भायाणीसाहेब, दलसुखभाई मालवणिया, जयन्त कोठारी अने भाषा-साहित्य संशोधन क्षेत्रना विश्वमान्य अनेक दिग्गजमूर्धन्य विद्वानो रह्या होय, पू. आचार्यश्री विजयशीलचन्द्रसूरिजी म.सा.नी निश्रामां अनेक नवी पेढीना जैनसाधुजनो अने जैन-जैनेतर संशोधको आ विद्यातपने दीपावता रह्या होय अने कल्पनातीत ओवी अप्रकाशित सामग्री शुद्ध वैज्ञानिक दृष्टिकोणथी सम्पूर्ण प्रमाणभूत रीते संशोधित-सम्पादित थईने जेमा प्रकाशित थती रहेती होय, प्रकाशित थयेली सामग्री उपर पण अवलोकन, टीका-टिप्पण, शुद्धिवृद्धि-संमार्जन थतुं रहेतुं होय अ आ समयनी ओक सांस्कृतिक घटना छे.
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy