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________________ ५३ सप्टेम्बर - २०१८ नथी पण संकेतमात्र छे. तेमणे महत् पुरुषोनां चरित्रो आलेख्यां छे ते नवा शासकोना सन्दर्भमां. वीरधवल, वस्तुपाल-तेजपालनुं महत्त्व जैतिहासिक छे ज. प्रबन्धचिन्तामणिकार नोंधे छे के - 'पुराणी कथाओ बुद्धिमानोना चित्तने प्रसन्न नथी करी शकती अटले निकटवर्ती सत्पुरुषोनां वृत्तान्तोनो आ प्रबन्ध'. पूर्वे उल्लेख कर्यो तेम अंग्रेज शासकोनी संस्थानवादी मनोदशावाळु इतिहास आलेखन मानीओ के न मानीओ पण पश्चिमनो इतिहासविभाव जुदो छे. भारतमां इतिहासआलेखन समयक्रम प्रमाणे न थतुं पण किस्साओमां इतिहास सचवातो-प्रचलित रहेतो. इतिहासबोध अंगे रवीन्द्रनाथ टागोर तेने ओक रस तरीके ओळखावे छे. आ रसास्वाद पूरो करतां पहेलां बे-ओक आनुषंगिक बाबतो. उर्दू छावणीनी भाषा छे, जे भारतमां ईस्लामी शासन पछी अस्तित्वमा आवी. बीजुं मोगल शासक बाबर ई.स. १५२६मां भारतमां आव्यो, ते पछी हुमायु, अकबर, जहांगीर वगेरे... (ई.स. १६१५ सुधीनो समय छे.) ___ आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदीना अनुवादनी प्रतना आधारे सत्पुरुषोनां वृत्तान्त नजीक पहोंचवामां 'अनुसन्धान' अने तेना सम्पादकश्रीनो ऋणी छु ज. अकवेळा आपणा इतिहास लखनाराओ प्रबन्धोनो आधार लेता, तो प्रबन्धनी विगतो साची के शक्य नथी ते माटे इतिहास साचो नथी ओम कहेवातुं. हवे भारतीय इतिहासलेखनमा चमत्कार, परचा, लौकिक कथानको वगेरेना निरूपणने प्रजाकीय आशा, अपेक्षा, आकांक्षा, मान्यतानुं ओक घटक लेखी, तेने लेखन-कथननिरूपणपद्धतिनो ओक भाग गणी अभ्याससामग्री तरीके सम्भावना तागवा खपमां लेवाय छे. बाकी संशोधन- सत्य तो काळदेवतानुं निवेद छे. दिनकरजी कहे छे ने - 'गवाक्ष तब भी था जब वह खोला नहीं गया था, सत्य तब भी था जब वह बोला नहीं गया था.' आ 'अनुसन्धान' यात्रा बदल तमारो आभार मानीश तो तमे अणगमो व्यक्त करशो. महाराजसाहेबनो आभार मानें तो ते हळवी मजाक करी ले अने करावे ते नक्की नहीं. माटे पेला राजवी माफक हजु बीजुं प्यालुं रसनुं इच्छी आटलेथी अटकुं... न अन्य, स्नेहविवश. C/o. न्यायालय पथ, जाम जोधपुर-३६०५३०
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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