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________________ ५२ अनुसन्धान-७५ ( १ ) थानी सम्भावना प्राप्त थई. कलापी विशेना अभ्यासीओमां उपेन्द्र पंड्या, इन्द्रवदन दवे, रमेश शुक्ल वगेरे प्रत्ये आदर होय ज. श्री लाभशंकर पुरोहित 'फलश्रुति' ग्रन्थमां आ बधा मन्तव्योने ध्यानमां लई चर्चा आगळ वधारे छे, तेमनो प्रयत्न ‘जहांगीर नामा' (जहांगीर का आत्मचरित्र) सुधी जाय छे. मूळनुं दशमी सदीनुं 'शाहनामा' आ कथाअंश धरावतुं होवानी सम्भावनाओ पण विद्वानो दर्शावे छे, अहीं सुधी आव्या पछी समयना पट पर भूतकाळ तरफ जइओ तो 'ग्राममाता'नुं कथाबीज तेनाथी पण आगळ जैनसाहित्यमांथी प्राप्त थाय छे. सिंघी जैन ग्रन्थमाळा अन्तर्गत मेरुतुङ्गाचार्य रचित 'प्रबन्धचिन्तामणि' रचना जे वि.सं. १३६१ ई.स. १३०५मां वढवाण शहेरमां पूर्ण थयेल. उपरोक्त ग्रन्थमाळाना सम्पादन-संचालननी जवाबदारी पू. मुनि जिनविजयजीओ संभाळेल. 'प्रबन्धचिन्तामणि' नुं प्रकाशन अमदावाद - साबरमती ९ शक्तिनगर, अनेकान्तविहार तथा सिंघीसदन ४८ गरियाहाट रोड, बालीगंज - कलकत्ताथी थयेलुं. आ रचना विभिन्न 'प्रकाश' नामना विभागोमां आलेखायेल छे. तेमां मूळराज, सिद्धराज, भीम, भोज, कुमारपाळ वगेरे विषयक वृत्तान्तो समाववामां आव्या छे. 'ग्राममाता' ना कथाबीजने 'इक्षुरसनो प्रबन्ध मां वांची शकाय छे. भीम अने भोज विषयक वृत्तान्तना प्रकाश बीजामां प्रकरण ७०-७३ पृ. ८४ उपर, १६मा वृत्तान्तमां आ प्रकारनी वात मूकाई छे. इस्लामिक रचनामां दाडमनो रस छे ज्यारे अहीं इक्षुरस तृषा छीपाववा शकोरामां अपाय छे. 'प्यालो' नथी. सूयो भोंकवाथी रस नीकळे, (आजे पण ताडमां रस काढवा सूयो भोंकावी माटलुं टींगाडाय छे.) ते घटना बीजी वेळा ओछा रसनुं कारण केम बने छे ते मीमांसामां राजानी मनोवृत्ति निमित्त दर्शावाय छे. गुजराती भाषामां पोताना हाथवगां साधनो द्वारा मूळकथाबीज सुधी पहोंचवा प्रयत्न करनाराओने सलाम. परन्तु 'अनुसन्धान' पू. विजयशीलचन्द्रसूरिजी म.सा. सन्दर्भमां आ वात ओटले आ पत्रमां पाठवुं छु के जैन साधु प्रमाणमां संसारथी अलिप्त गणाय छे, त जाणो छो के विहार दरमियान तेमनुं जनजीवननुं अवलोकन सर्वाश्लेषी होय छे. आपणे संवेदनाना फलक पर विचारीओ तो समजी शकीओ के पू. मेरुतुङ्गाचार्यजीने भारतमां जे सत्ताहस्तान्तर (पावरशिफ्टींग ) थयुं हशे ते घटना स्पर्शी हो. आम जनता पर करवेराना बोजथी जे वेठवानुं आवे तेनो अहेवाल आ
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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