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________________ सप्टेम्बर २०१८ थतुं होय छतां जरापण एकांगी के संकीर्ण बन्या विना, भारतीय वृत्तिमां क्वचित् देखाती गुरुमुष्टिवृत्तिना सम्पूर्ण अभाववाळु पवित्र जीवन जोवा मळ्युं. तेनो राजीपो ओटले के तेमनी साथे वीताववा मळेल केटलीक पळो जीवनमां सार्थकतानो अनुभव करावे. ५१ * * * आपणे पू. महाराजसाहेबनी केटलीक प्रवृत्तिओना साक्षी थवानुं बन्युं छे, सतना साथी तरीके ते वर्तता लागे से स्वाभाविक छे. ओक उदात्त परम्परा आत्मसात् कर्यानो भाग छे परन्तु धर्मजगत उपरान्त सात्त्विक काव्य-कलाविनोद, शास्त्रनुं सेवन, आदान-प्रदान तथा फक्त मनुष्य ज नहीं, प्राणीमात्र, समग्र कुदरत परत्वे संवेदनशीलतानो विस्तार सर्जती तेमनी प्रवृत्तिमां वाचन - अध्ययननो चेप फेलावे अ तेमनी बाय प्रोडक्ट्स गणुं छं. ओमने हिसाबे जैनसाहित्य नजीक जवा इच्छा जागी... ने ओ साहित्यसमुद्रमांथी छीपलां-शंखला मळे तो पञ्चजन्य तरीके जाहेरातो करवानुं गमे, परन्तु मोती मळी आवे तो केटलो राजीपो थाय ? तमारी साथे शेर करवा अ घटना पण जणावुं. सुधारक युगना प्रारम्भमां अंग्रेज अधिकारीओ मारफत 'रासमाळा' जेवा ग्रन्थो आकार पामता. ते अभ्यासनी पद्धति अने हेतु जे होय ते पण तेनी घणी आधारसामग्री जैनप्रबन्धकाव्यो रहेल. जो विदेशी लोक भारतनी ओळख मेळववा तेने अभ्यासमां लेता होय तो आपणे तेने खपमां केम न लेवी ? आपणने आपणी ओळख तो आपे ! आपणा रचनाकारो आधुनिक कहेवाता होय के लोकप्रिय गणाता होय पण ओमनी विषयवस्तुनी सामग्रीना कुळ अने मूळ जैनसाहित्यमां पडेलां छे ते ध्यानमां आव्युं. आपणी पेढीना निशाळमां भणनाराने कवि कलापीनी 'ग्राममाता' रचना तेना छन्दोविधान, प्रकृतिवर्णन, रागीयता अने विषयना हार्दने प्रगट करवानी क्षमताथी स्मरणमां होय छे. आ रचना लोककथामांथी आवी तेवी प्रथम मान्यता. तो कलापी पोते राजवी हता माटे ते सर्जकने आवुं सूझ्युं से बीजी मान्यता के सम्भावना विद्वानो दर्शावे छे. कलापी राजकुमार कोलेजना विद्यार्थी होई अंग्रेज कवि वर्ड्सवर्थनी रचना गूडी ब्लेक (आंतरडीनी कदूवा) नी असर होवानुं पण केटला नोध्युं छे. आ प्रकारना अभ्यासमां शैक्षणिक सामग्रीनी तपासमां पगेरुं उर्दू भणी पण फंटायुं. मुल्ला हुसेन वायेझ काशिफीना 'अखलाते मुहसीनी' पुस्तकनो हवालो अपायो. 'बहेराम गोर अने बागबान', 'शाह कुबाद अने वृद्ध स्त्री' बे
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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