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सप्टेम्बर - २०१८
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आ विशेषाङ्कोना सम्पादनमा आचार्यश्री विजयशीलचन्द्रसूरि प्रत्येक विशेषाङ्कमां आरम्भे तमाम विज्ञप्तिपत्रोनो संक्षिप्त परिचय कराव्यो छे, जेमां पत्रअन्तर्गत प्रगटती कविप्रतिभा, गुरुगुणवर्णनमां शिष्यनी भावाभिव्यक्ति, छन्दोवैविध्य, नगरवर्णन आदि अंगोमां सचवायेली तिहासिक सामग्री व.नो समावेश थाय छे. ढूंकमां कहीओ तो पूज्यश्रीओ तमाम पत्रोनो अर्क आ परिचयमां तारवी आप्यो छे. अमनी सूक्ष्म परखदृष्टि 'श्रवणसुणितं' के 'वाटं पश्यति' जेवा संस्कृतनी साथे तद्भव शब्दोना मिश्रणनी भ्रष्टताने पण शोधी शकी छे.
___ 'अनुसन्धान'मां जे १४९ पत्रो सम्पादित थया छे अमां मात्र ओक अपवाद सिवाय बधी कृतिओनुं सम्पादन साधुभगवन्तोनुं छे. अमांये सविशेष श्रीसुयशविजय गणि अने मुनिश्री सुजसविजयजीओ ८०, मुनिश्री त्रैलोक्यमण्डनविजयजीओ ३१ अने आ. श्रीशीलचन्द्रसूरिजीओ १४ (संस्कृतभाषी) पत्रोनुं सम्पादन कर्यु छे. बाकीनां अन्य साधुभगवंतोनां सम्पादनो छे. श्रावकवर्गमांथी मात्र पं. अंकित शाहनुं ओक प्रसादीपत्र, सम्पादन छे.
___ श्रीधुरन्धरविजयजीनी सहाय अत्यन्त नोंधनीय छे. १३ विज्ञप्तिपत्रो अमना निजी संग्रहमांथी प्राप्त थया छे. ओ ज रीते उपा. भुवनचन्द्रजीओ राजस्थानना प्रवास दरम्यान ग्रन्थागारोमांथी केटलाक विज्ञप्तिपत्रो मेळवी आप्या छे. श्रीसुयशविजयगणि अने मुनिश्री सुजसविजयजीओ घणीबधी हस्तप्रतोनी प्रतिलिपि करवानो श्रम लीधो छे. ६९मा अङ्कमां अक अजैन विज्ञप्तिपत्र प्रकाशित थयो छे अनी प्रतिलिपि अमणे करी छे. आ पत्रनुं सम्पादन अने भावानुवाद डॉ. निरंजन राज्यगुरुओ कर्यां छे. मुनिश्री त्रैलोक्यमण्डनविजयजीओ ६८मा अङ्कमां अत्यन्त चीवटपूर्वक विज्ञप्तिपत्रोनी विभागीकृत सूचि तैयार करी छे. आ सूचिमां अत्यार सुधीमां 'अनुसन्धान' तेम ज अन्यत्र अगाउ प्रकाशित थयेला तमाम विज्ञप्तिपत्रोने समावी लीधा छे. अहीं पांच विज्ञप्तिपत्रोनुं पुनःसम्पादन थयुं छे जे अगाउ 'विज्ञप्तिलेखसङ्ग्रह'मां प्रकाशित छे. पण मुद्रित प्रत सांथे जे पाठभेदो प्राप्त थया तेमां स्वीकार्य पाठोने पुनःसम्पादननी वाचनामा समावी लेवाया छे. आवा पाठभेदोनी यादी पूर्ति रूपे 'अनुसन्धान'मां अपाई छे.
सम्पादकश्री आ. शीलचन्द्रसूरिजी अमना निवेदनमां जरूरी कोषो, सन्दर्भग्रन्थोनी मदद न लई शकायानी मर्यादा जणावी लखे छे के 'आ अमारी