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________________ सप्टेम्बर - २०१८ "कागद को लिखवो किसो, कागद लोकाचार, जे [ते] दिन सफलो जाणसुं, मीलसुं बांहि पसार." अहीं गोकुळनी गोपीओओ उद्धवजीने आपेला उत्तरमां अमनी प्रत्यक्ष कृष्णमिलनझंखना याद आवे. आम, जोई शकाशे के गुरुगुणवर्णनमां विज्ञप्तिपत्रो केवी सर्जकता दाखवे छे. नगरवर्णन ओ पण विज्ञप्तिपत्रनो अक महत्त्वनो अंश बने छे. अमां पत्र ज्यां अने ज्यांथी मोकलायो होय ते नगरोनां वर्णनो जोवा मळे छे. ओमां त्यांना जिनालयो, अन्य देवदेवीओनां मंदिरो, उपाश्रयो, जळाशयो, चौटां, चोक, बजार, त्यांना राज्यकर्ताओ, लोको, ओमनी धर्मनिष्ठा, वेपार-वणज व.नी विगतो होय. क्वचित् कवि नगरवर्णन अगाउ गुर्जर के मरुधरदेशने पण वर्णवे. वर्णनो रसाळ अने काव्यात्मक पण बने. अहीं दस्तावेजी अने जैतिहासिक विगतो सारा प्रमाणमां सांपडे छे ओ आ वर्णनोनुं सविशेष महत्त्व छे. पत्रो ज्यां अने ज्यांथी लखाया छे ते नगरोनी यादी सूचि (अंक-६८)मां अपाई छे, सौथी वधारे पत्रो अमदावाद, पाटण अने राधनपुर खाते मोकलाया छे. ज्यांथी मोकलाया छे अमां सौथी मोटुं प्रमाण सूरत, अमदावाद अने जोधपुर नगरनुं छे. पत्र (६४/१८)मां लखनउ अने जयपुरनां वर्णन छे. लखनउने लक्ष्मणपुर तरीके ओलखावायुं छे. चन्द्रायणा, वसन्ततिलका, दुहा आदि विविध छन्दोमां लखनउनां जिनालय, उपाश्रय, बजार, श्रेष्ठीवर्ग व.नुं वर्णन छे. अनुं ओक पद्य जुओ - "ढींचाल उद्भट सुभट सोहे, भीम जिम ते सोहता, सरपें लपेटा बांध फेंटा, देखवें मनमोहता." ते पछी पुनः संस्कृतमां अनुष्टुप छन्दमा वर्णन छे. रामने लक्ष्मण प्रत्ये अपार स्नेह होवाथी आ लक्ष्मणपुरी वसावाई छे ओम अमां कहेवायुं छे. जयपुरनुं वर्णन संस्कृतमां अनुष्टुप छन्दमां तेमज गद्यमां थयुं छे. पत्र (६४/२०)मां सीरोही अने सूरतनां वर्णनो छे. सीरोही-वर्णन अन्तर्गत आबूनी अक ढाळ छे. अनी ध्रुव पंक्ति छे 'अबूंदगिरि वारू रे, पर्वतमां मूगट समान.' सीरोहीने माटे अमरपुरीना
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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