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________________ १३२ अनुसन्धान-७५(१) हतो ओटले अदृष्ट सत्ता द्वारा वस्त्र पुरायां. पछी कृष्णभक्तिनो महिमा विस्तरवा लाग्यो त्यारे कोई अनुगामी कविने कृष्णना पात्रने आणवानी ओक सरस तक मळी. अक बीजो नोंधपात्र प्रक्षेप सहदेवना अतिज्ञाननो छे. गुजरातना विख्यात कवि कान्ते 'अतिज्ञान' काव्य द्वारा आ कथाघटकने खूब ज जाणीतुं कर्यु छे. महाभारतनी समीक्षित आवृत्तिमां के गीताप्रेसनी आवृत्तिमां सहदेवना अतिज्ञाननी वात आवती नथी. तात्त्विक रीते जोईओ तो अतिज्ञान वरदान नहीं, अभिशाप छे. जाणीता चिन्तक कियर्केगार्दे पण संवेदननी अतिमात्राने अभिशाप तरीके ज ओळखावी हती. आ अतिज्ञान- कथाघटक क्याथी, केवी रीते आव्यं तेनी तपास करवा जेवी छे. मध्यकाळमां महाभारत आधारित जे कृतिओ रचाई तेमां आ अतिज्ञाननो प्रवेश थयो छे. पूणेथी प्रगट थयेला 'प्राचीन चरित्रकोश'मां पण सहदेवना आ अतिज्ञाननो निर्देश नथी. गुजरातमां कवि वल्लभनुं महाभारत खूब जाणीतुं छे. तेमां आ अतिज्ञाननी वात आवे छे. ओक वखत पाण्डु वनमां पक्षीओनी वात सांभळे छे. 'जे कोई आ पुरुष- काळजुं खाशे तेने त्रिकाळज्ञान थशे.' पाण्डु विचारे छे के मारा मृत्यु वखते पुत्रोने आ जाण करीश. अने अवी जाण पाण्डु पुत्रोने करे छे पण खरा. पाण्डुना अग्निदाह वखते शबमांथी काळजु काढी लई ओक हांल्लीमां उकाळवा मुकाय छे, पण आ घटनानी जाण भगवान श्रीकृष्णने थाय छे, तेओ ब्राह्मणवेशे आवीने चीलझडप करी पेली हाल्ली कबजे करवा जाय छे त्यारे सहदेव अमना हाथमांथी हांल्ली पडावी दोट मूके छे. गरम गरम काळजुं उछाळतां उछाळतां अनी वराळ सहदेवना नाक द्वारा प्रवेशे छे अने तेने त्रिकाळज्ञान थाय छे, ते श्रीकृष्णने पगे पडे छे. बंने वच्चे करार थाय छे. श्रीकृष्ण सहदेवने कहे छे - 'कोई पूछे नहीं त्यां सुधी तारे कशुं कहेवू नहीं. कूवामां बधा पडता होय तो तारे पण अमनी साथे कूवामां पडवू.' सहदेव सामी शरत करे छे, 'अमारामांथी अकेनुं मरण थाय तो तमारे पण मरी जवू.' ___ स्वाभाविक रीते ज आ आलूँ कथाघटक लोकसाहित्यमांथी आव्यु होवानुं अनुमान करी शकाय. हिन्दीना प्रख्यात विद्वान वासुदेव शरण अग्रवाले महाभारत पर ओक ग्रन्थ 'भारतसावित्री' लख्यो छे, तेमां पण सहदेवना अतिज्ञाननी
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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