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अनुसन्धान-७५(१)
हवे आपणे सीता अने लक्ष्मणनां बे व्यक्तित्व वच्चेनो विरोध पण जोई शकीशुं. सीता आटलुं बधुं संभळावे छे तो पण लक्ष्मण चुपचाप सांभळी ले छे. वनवास जवाना प्रसंगे लक्ष्मण तो आखी अयोध्याने निर्जन करवा मागता हता; सीतानी भाळ काढवामां विलम्ब करता सुग्रीवने पण शिक्षा करवा तत्पर हता - पण अहीं सीतानी सामे कशुं बोलता नथी. आ स्थितिमां मुकायेला लक्ष्मण बीजुं करे शं?
समीक्षित वाचनामां लक्ष्मण चुपचाप राम पासे जता रहे छे.
वाल्मीकिओ आलेखेलां सीता स्वतन्त्र प्रकृतिनां, कदाच पोतानी रक्षा पोते करवाने समर्थ हशे. प्रश्न तो थाय - रामायण अने महाभारतमां आq बने त्यारे जे ते व्यक्ति पासे शापवाणी उच्चारावी छे. महाभारतमां तो देवोनी कूतरी सरमा पण जनमेजयने शाप आपी शके छे. पण सीता आवो कोई शाप आपतां नथी.
वाल्मीकि अने मध्यकाळ वच्चे घणुं बधुं अन्तर छे. परदेशीओनां घोडां भारतमा प्रवेश्यां, विधर्मीओनां राज थयां. आ परिस्थितिमा स्त्रीनी रक्षा कोण करे? तेने घरनी चार दीवालोमां ज पुराई रहेQ पडे, घरनी बहार पग मूकवामां डगले-पगले जोखम, तेने लक्ष्मणरेखानी जरुर पडे. पछी तो जाणीती हिन्दी फिल्मोमां पण लक्ष्मणरेखा प्रवेशी. मूळमां वात छे स्त्रीनी सुरक्षानी. विज्ञान अने टेक्नोलोजीना आ जमानामां स्त्री केटली बधी अरक्षित बनी गई छे! क्या क्या अने केटली केटली लक्ष्मणरेखाओ ऊभी करीशं?
हवे अक बीजा जाणीता प्रक्षेपनी वात करीओ.
विश्वामित्र ऋषि रामलक्ष्मणने लईने अक पछी अक स्थळे विहार करे छे, अने ओम तेओ ओक सुन्दर पण निर्जन आश्रममां जई चढे छे. ऋषिमुनिओ विनाना आश्रमने जोईने रामने जिज्ञासा थाय छे, एटले विश्वामित्र ऋषिने अने लगती विगतो पूछे छे. विश्वामित्र ओ बधी वात विगते करे छे. तुलसी रामायणमां विगते कशं आवतुं नथी, त्यां तो मात्र अटलं ज कहेवामां आवे छे के ऋषिना शापथी पथ्थर बनी गयेली ऋषिपत्नीनो उद्धार करो. कंब रामायण पण कहेशे के गौतम ऋषिनो वेश लईने आवेला इन्द्रे अहल्याने भ्रष्ट करी, ओटले इन्द्रने शाप मळ्यो अने अहल्याने शिला थई जवानो शाप मळ्यो. कृत्तिवास रामायण पण