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________________ सप्टेम्बर - २०१८ १२५ 'अभिज्ञानशाकुन्तल'नी रचना करे छे, पण महाभारतमां जोवा मळता कथावस्तुने कालिदास वफादार रहेता नथी, महाभारतमा जे न होय ते उमेरीने पोतानी सर्जकप्रतिभा अनुसार जे रचना करे छे ते वधु रम्य, रमणीय पुरवार थाय तो! अने भवभूति 'उत्तररामचरित'मां अन्त सुखद आणे छे तेने शुं? कंब रामायण, कृत्तिवास रामायण, तुलसी रामायण, गिरधर रामायण - आ बधार्नु शुं ? घणीवार प्रजामां अक अथवा बीजा कारणे केटलांक कथावस्तुओ तेमना लोहीमां वणाई जाय छे. अथी विरुद्धनुं कशुं पण स्वीकारवा प्रजा तैयार थती नथी. आपणे हरिश्चन्द्रनी कथा लईओ. सौथी पहेलां आ कथा 'जैतरेय ब्राह्मण'मां जोवा मळे छे. आ कथा अनुसार हरिश्चन्द्र वचनभंगी छे, अमानवीय छे, सत्यद्रोही छे. हवे आपणी परम्परा हरिश्चन्द्रनी आ छबिने स्वीकारवाने बदले जुदा प्रकारनी छबि सर्ने छे, ए छबि छेक वीसमी सदी सुधी टकी रही. आजे 'जैतरेय ब्राह्मण'ना हरिश्चन्द्रने कोई याद करतुं नथी. आ आखी छबि पलटाता समयने केन्द्रमां राखीने सर्जवामां आवी ओ वात भूलवी न जोईओ. हवे आपणे 'रामायण'नी वात करीओ. सौथी पहेलां लक्ष्मणरेखानी वात करीओ. बारसो वरस पूर्वे रचायेला कंब रामायणमां के तुलसी रामायणमां लक्ष्मणरेखा नथी, हा - सोळमी सदीना कृत्तिवास रमायणमां लक्ष्मणरेखा छे, कदाच त्यारथी भारतभरमां लक्ष्मणरेखानो महिमा विशेष थवा मांड्यो हतो. समीक्षित वाचनामां राम मायावी मृग पाछळ जाय छे अने लक्ष्मणने सीतानी रक्षानो भार सोंपे छे. मायावी मृगनो अवाज सांभळीने सीता लक्ष्मणने रामनी सहाय माटे मोकलवा इच्छे छे, पण लक्ष्मणने रामनी वीरतामां अडग विश्वास एटले ते जता नथी. आ घटनाथी सीता अकळाईने लक्ष्मणने घणां कठोर वाक्यो संभळावे छे. सीतानी व्यक्तिताने न छाजे एवां वाक्यो समीक्षित वाचनामां जोवा मळशे. आ वाक्योनो टूकसार ओवो के लक्ष्मण सीताने पामवा माटे राम भले मृत्यु पामे तो पण तेमनी वहारे नहीं जq एवं नक्की करीने बेठा छे. हवे आ स्थितिमां लक्ष्मण शुं करे? हवे समीक्षित वाचना जुओ - लक्ष्मणे सीताने बे हाथ जोड्या, मैथिली सामे अकाधिक वार जोईने राम पासे जवा नीकळ्या (अरण्यकाण्ड, ४३-३७) आवी कठोर वाणी सांभलीने क्रोधे भरायेला लक्ष्मण विलम्ब कर्या विना राम पासे जवा नीकळ्या. ओवामां ज त्यां दशानन-रावण परिव्राजकनो वेश लईने सीता पासे आवी चढ्यो. (अरण्यकाण्ड, ४४-१,२)
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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