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अनुसन्धान-७५(१)
महाकाव्यो जेवी रचनाओमां प्रक्षेपोनो प्रश्न
- शिरीष पंचाल
विद्वानो प्रक्षेपोनो प्रश्न गम्भीरताथी घणा समयथी चर्चता आव्या छे, क्यारेक पूर्वपक्ष-उत्तरपक्ष वच्चे भारे वादविवाद थता होय छे. वडोदराना प्राच्य विद्यामन्दिरे 'रामायण'नी अने पूणेनी भाण्डारकर रिसर्च इन्स्टिट्यूटे 'महाभारत'नी समीक्षित वाचनाओ दायकाओ पहेलां प्रगट करी. आ वाचनाओना इतिहासमां न जईओ, जेवी रीते सार्थ जोडणीकोशना प्रकाशन पछी गांधीजीओ वटहुकम बहार पाडता होय तेम कह्यं हतुं के हवे पछी स्वेच्छाओ जोडणी करवानो कोईने अधिकार नथी तेवी रीते केटलाक विद्वानोए समीक्षित वाचनाओने ज प्रमाणभूत मानीने बीजी बधी वाचनाओने बाजु पर मूकवानी सूचना आपी हती. विद्वत्तापूर्ण अभ्यास माटे समीक्षित वाचनाओ पर आधार राखवो जरूरी छे ओनी तो कोई ना नहीं पाडे पण प्रक्षेपोवाळी रचनाओने बाजु पर सदंतर मूकवी ओ सांस्कृतिक,
तिहासिक दृष्टिले केटलुं वाजबी? आ बन्ने महाकाव्योना सर्जक वाल्मीकि, व्यास कोण हता? विश्वनी दरेक प्रजाने किंवदन्तिओनो शोख होय छे. व्यास विशे नहीं पण वाल्मीकि विशे प्रजाओ किंवदन्तिओ जोडी ज काढी छे - एक प्रचलित कथा अनुसार वालियो लूटारु हतो, मरा-मराथी राम-राम सुधी पहोंच्यो. कालिदास पोते जे डाळ पर बेठो हतो तेने ज कापवा तैयार थयो हतो - अवो मूर्ख हतो. कदाच मनोविज्ञानीओ आवी कथाओने गप्पां ज माने. केटलाक विद्वानो तो ओम ज कहे छे के व्यासे तो कौरव-पाण्डव वच्चे थयेला युद्धनी ज कथाने 'जय' तरीके आलेखी हती, पछी बीजाओओ अमां उमेरणो काँ, ओ रीते तो मोटा भागनुं महाभारत प्रक्षेप पुरवार थाय. रामायण-महाभारत जेवी कृतिओ जेम जेम लोकप्रिय थती गई तेम तेम तेमां उमेरणो थतां ज गयां, क्यारेक मूळ कृतिथी साव जुदुं ज आलेखन जोवा मळे. दा.त. 'पउमचरिय' नामनी जैन कृतिमां तो हनुमान लग्न करे छे, रावणना पक्षे रहीने युद्ध पण करे छे. आजे मोटा भागनी प्रजा आवां उमेरणोथी अजाण छे, नहींतर भारे विवाद ऊभा थाय.
दरेक सर्जक स्थळ-काळने केन्द्रमा राखीने रचनाओ करे छे, वळी पोतानी वैयक्तिक प्रतिभा तो खरी ज. दा.त. कालिदास महाभारतने आधारे