SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 115
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सप्टेम्बर - २०१८ १०३ काव्य, तथा अन्य रचनाओ - सर्वदेवचैत्यपरिपाटि, प्रभावकचरित्र इत्यादिमां मथुरानगरीने जम्बूस्वामीना कल्याणक अने देवीनिर्मित स्तूपना यात्राधाम तरीके ओळखावी छे. आचार्य जिनप्रभसूरिना 'विविधतीर्थकल्प'मां नवमा 'मथुरापुरीकल्प'मां मूळनायक सुपार्श्वस्वामी अने पार्श्वनाथनी विगत उपरांत गुरुमहाराजाओनी मथुरानी यात्रा वगेरेनो इतिहास पण दर्शाव्यो छे. स्तूपने थयेल नुकसान, जीर्णोद्धार अने फरी विनाश : गझनीथी आवेला हुमलाखोरोओ आखी मथुरा नगरीनो १०१८मां नाश कर्यो. गझनीओ अनुं वर्णन करता लख्युं छे के "स्तूपना जेवू सुन्दर बांधकाम कोई मनुष्य धारे तो कुशळ बे हजार कारीगरोने लई खूब धन वापरे तो पण बसो वर्षे आवं सुन्दर भवन निर्माण न करी शके... लोको कहे छे के अने देवीओ बनावेल छे". अणे स्तूपने नष्ट कर्यो अना पांच ज वर्षमां मथुरा संघे अनो जीर्णोद्धार करी लीधो हतो अर्बु ई.स. १०२३नी सालमां अने त्यारबाद ६३ वर्ष सुधी पण ओ स्थळे भरावेल प्रतिमाओना आधारे कही शकाय के ओ यात्रा, मोटुं धाम हतुं. त्यारबाद त्रणसो वर्ष पछी जिनप्रभसूरि यात्राओ आव्या त्यारे पण स्तूप सारी स्थितिमा हतो. स्थळy नाम कंकाळी टीला शा माटे : भारतदेश पर दशमी सदीना परदेशी आक्रमणोमां सोमनाथ, भरुच, काशी अने मथुरा विशेषपणे क्षतिग्रस्त थया हता. अमां मथुरानो देवनिर्मित स्तूप पण हतो. आक्रमणकारोओ नोंधेला वर्णन अनुसार तेओ पांच वार ऊंचाईवाळी पांच सोनानी प्रतिमाओ तथा अना नेत्रोमां जडेला रुबी वगेरे अढळक संपत्ति लूंटी गया. खेदानमेदान थयेला स्तूपनो जीर्णोद्धार मथुराना जैन संघे पांच ज वर्षमां कराव्यो. अकबरना राज्यमां पण आ स्थळे टोडरमले नवा स्तूपो बनाव्याना उल्लेखो छे. परन्तु त्यारबाद नादीरशाह अने अहमदशाह अब्दालीना आक्रमणोमां सम्पूर्ण मथुरा नगर नाश पाम्युं अने अंते त्यांना ख्यातनाम मन्दिरो अगणित टेकराओना रूपमा पेरवाया जेमा मुख्यत्वे चोबाराटीला, कटरा केशवदेव टीला, लक्ष्मणगढी, चोर्याशीटीला, कंकाळीटीला वगेरे हता. आ सर्वमां कंकाळी टीलो खूब विशाळ अने ऊंचो हतो. लोको पोताना घर बांधवा माटे अहिंथी इंटो लइ जता हता. उपरान्त आ स्थळेथी लोको देवीनी आकृतिवाळा स्तम्भो खेंची काढी
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy