________________
सप्टेम्बर - २०१८
९७
२. कडूआं फल नवि लागइ अंबि, सोनइ किम्हइ न लागइ संखि
माणिकि मल न बइसइ सार, सील न चूकइ विमल कुंआर. 'विमलप्रबन्ध'नी रचना विमलमन्त्रीना जीवनकाळ पछी लगभग पांचसो वरसे थई छे. समयदृष्टिओ आ अन्तर घणुं मोटुं छे. अटले अमां लोकश्रुति अने अनुश्रुतिजन्य घणी किंवदन्तीओ भळी गई होय ते स्वाभाविक छे. तेम छतां 'विमलप्रबन्ध' ए ‘कान्हडदेप्रबन्ध' पछी- बीजुं महत्त्व- तिहासिक प्रबन्धकाव्य छे. अमां तत्कालीन गुजरातना इतिहासनी घणी मूल्यवान सामग्री रहेली छे.
हवे, लावण्यसमयनी बीजी महत्त्वनी दीर्घकृति 'नेमिरङ्गरत्नाकरछन्द' विशे थोडंक :
'विमलप्रबन्ध' जो औतिहासिक चरित्रात्मक काव्य छे तो, 'नेमिरङ्गरत्नाकरछन्द' साम्प्रदायिक चरित्रात्मक काव्य छे. आ काव्यमां, जैनधर्मना बावीसमां तीर्थङ्कर श्री नेमिनाथप्रभुनुं जीवनचरित्र रजू थयुं छे. कृति नेमिनाथना जन्मवर्णनथी शरु थाय छे. ते पछी, तेमनां किशोरवयनां पराक्रम, लग्ननो अस्वीकार, राजिमती साथे नेमिनाथना लग्न कराववा कृष्णनो प्रयत्न, ओ माटे कृष्णनी वसन्तखेलनी युक्ति, नेमिनाथनी लग्नसंमति, परन्तु लग्नप्रसंगे भोजन आदि माटे थनारी जीवहिंसाथी नेमिनाथमां जागेलो विरक्तिभाव, अमनो संसारत्याग, आशाभङ्ग राजिमतीनी विरहव्यथा, गिरनार पर्वत पर नेमिनाथनी तपस्या, दीक्षा अने केवलज्ञाननी प्राप्ति, राजिमती अने संसारीओने देशना-जेवा अनेक प्रसंगोनुं 'नेमिरङ्गरत्नाकरछन्द'मां रसात्मक आलेखन थयुं छे.
नेमिनाथ प्रभु विशे घणा जैन कविओओ विधविध प्रकारनी पद्यरचना करी छे, अमां लावण्यसमयनी आ कृति घणी विशिष्ट छे. बे-चार प्रसंगो तो नेमिनाथ विशेनी कोईपण कृतिमां न होय तेवा छे. ओवो अेक प्रसंग छे नेमिकुमारना लग्न कराववानो कृष्ण प्रयत्न अने ओ माटे वसन्तखेलनु आयोजन. आ प्रसंगमां गोपीओ अने नेमिकुमार वच्चेनो संवाद घणो आकर्षक छे. आ समग्र प्रसंगयोजना कविनी आगवी कल्पना छे. अमां कृष्ण-गोपीनी रासलीला- सादृश्य जोई शकाय. नेमिनाथ अने कृष्ण बन्ने यादवकुळना राजकुमार हता अने पितराई सम्बन्धथी जोडायेल हता ओवी कथा जैनपरम्परामां प्रचलित छे. कविओ ओनो लाभ लीधो छे.