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सप्टेम्बर - २०१८
'विमलप्रबन्ध'मां, विमलमन्त्रीनी चरित्रकथाने कविले ९ खण्ड अने १३५६ कडीमां रजू करी छे. कृतिनो आरम्भ, मध्यकालीन जैन प्रणालिका मुजब वन्दनाथी थाय छे, ते मंगलाचरणनी कडीओ सांभळो :
आदि जिणवर आदि जिणवर-पय प्रणमेवि अंबाई धुरि अर्बुदा, सकल देवि श्रीमात ध्याउं पुमावइ चक्केसरी, वागवाणि-गुण रंगि गाउं सहिगुरु आयस सिरि धरि, आलस अलग कर्योस
कहइ कवीयण हुं विमलमति, विमलप्रबंध रच्योस 'विमलप्रबन्ध'ना पहेला पांच खण्डमां, अमना जन्म, अभ्यास, लग्न अने पाटणनिवासनुं आलेखन छे. जे विमलचरित्रकथानी भूमिकारूप बनी रहे छे. विमलमन्त्रीना चरित्रनी दृष्टिले प्रबन्धकाव्यनो छठ्ठो खण्ड खूब अगत्यनो छे. अमां, पोताना बुद्धिचातुर्य अने शौर्यपराक्रमथी विमल कई रीते गुर्जरनरेश भीमदेवने प्रसन्न करी दण्डनायकनुं पद प्राप्त करे छे तेनुं वर्णन छे. विमलना राजकीय अभ्युदयथी निराश थयेला ईर्षाळु कारभारीओनी राजखटपट अने पेंतराकावतरांओनुं वर्णन पण आ खण्डमां रसप्रद रीते थयुं छे. सातमा अने आठमा खण्डमां विमलना युद्धसाहसनुं आकर्षक वर्णन छे, जेने लीधे ओना राजकीय सम्मानमां वधारो थाय छे.
___'विमलप्रबन्ध'नो ९मो खण्ड तिहासिक दृष्टिो घणो अगत्यनो छे. आ खण्डमां विमलमन्त्रीओ, युद्धहिंसाना प्रायश्चित्तरूप अर्बुदपर्वत पर करेला जिनमंदिरना निर्माणनी जैतिहासिक विगतो आपवामां आवी छे. देशना कुशळ कारीगरो द्वारा आरसपहाणमांथी बंधावेला आ नकशीदार मन्दिरोमां, जैन आचार्यश्री धर्मघोषसूरिनी निश्रामां, ई. १०३२मां जिनप्रतिमानो स्थापना महोत्सव थयो. आबुना आ जैनमन्दिरो आजे “विमलवसहीनां देरां' तरीके प्रख्यात छे.
___ विमलप्रबन्ध'नुं मुख्य पात्र विमलमन्त्री छे. कृतिना आरम्भथी ते अन्त सुधी अमनुं व्यक्तित्व प्रभावक बनी रहे छे. केटलाक प्रसंगोओ ओमना उदारचरित व्यक्तित्वनी आपणा मन पर ऊंडी छाप पडे छे. जेम के, जिनमन्दिरोना निर्माण माटे ओ दण्डनायक तरीकेना प्रभावनो के सत्ता-बळनो जराय उपयोग कर्या