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सप्टेम्बर - २०१८ ओक अभ्यास स्पष्टता अने विशदता माटे त्रीजी जाति पण उमेरवी जोईओ - ज्ञान, माहिती, इतिहास वगेरे केन्द्रमा छे ते. कथाश्रयी जातिना मुख्य प्रवर्तक चारेक प्रकारो उपरान्त पण केटलाक विशेष भेद धरावता पेटा प्रकारो छे ते लक्षमा लेवा जोइओ. ऊमिमूलक / भावाश्रयी जातिना पण पद, ऋतुमूलक । आदि प्रकारो मांहेना तथा अमां समाता नथी ओवा प्रकारोना स्वरूपनी स्पष्टता पण थई नथी. आ बीजी जातिमां 'पद' अटले के निश्चित चरणसंख्यामां कोई ओक विषयसंलग्न भावोमिने व्यक्त करती मध्यमकदी रचना. आनी आपणी विवेचनाचर्चा अधूरी छे. मारा मध्यकालीन इतिहासना सम्बन्धित प्रकरणमां पद विशे, ओना हेतु, प्रयोजन, सामग्री, पंथ वगेरेना कारणे जे जे पेटाप्रकारो छे अनी चर्चा करी कामचलाउ तालिका आपी छे, ओनो निर्देश करूं छु. ज्ञानाश्रय-भावाश्रयी पदो-भक्तिरचनाओनो विचार करीओ त्यारे अमां जैनस्रोतना सज्झाय, स्नात्रपूजादि अन्य प्रकारोनो समावेश करवो जोईओ. अष्टक, चोवीसी, बत्रीसी, बावनी वगेरे चरणसंख्याधारित प्रकारो, कळशादि भाग्ये ज चर्चायेला प्रकारो, मात्र भावपूर्ण भक्ति निरूपण अने नाम स्मरण चरित-महिमा साथेनां पदोना मात्र स्मरणरूप अने प्रयोजित (अटले के अर्चन-पूजनादि विधिमां Applied छे ते) चर्चरी, मातृका-कक्का, विवाहलु, धवल अने ओना बे प्रकार (जे हेमचन्द्राचार्य 'छन्दोनुशासन'मां चा छे), ऋतुकाव्यनी जाति अन्तर्गत वसन्तपद, हिंडोळा, बारमासी अर्चन-पूजन संलग्न स्नान, शणगार, पूजन, आरती, थाळ वगेरे तथा जीवनचक्र Life Cycle अने ऋतुचक्र Season Cycle संलग्न मोहक-मनोरंजक गीतो, पद अने गीत वच्चेनो भेद, संदेशकाव्य अने अनुं पण वैविध्य, कथावलम्बित अने मात्र भावोमिसंलग्न ओवी रचनाओ : आम, हजु पण आवी अनेक दिशाओ, अनां विविध पासांओ, परिमाणो, संगीत-नृत्यादि साथेनो अनुबन्ध : आ बधुं ज ध्यानमां लईने मध्यकालीन गुजराती जातिओ अने अंतर्गत स्वरूपो पर विचारवानी, अभ्यास करवानी जरूर छे. नवी पेढीमां मध्यकालीन साहित्यना अभ्यास परत्वे जे कंईक उदासीनता जामवा लागी छे ओ दूर थाय अने आ दिशाना अभ्यास थाय !
C/o. १, पद्मावती बंगलोज,
थलतेज, अमदावाद-५९ * * *