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________________ ८८ अनुसन्धान-७५(१ 'रास' ओक पंक्ति के बहुधा मण्डलाकार ओवो नरनारीना समूहमां गवातो प्राचीनतम प्रकार छे, अनी पूरी स्पष्टता भोज अने हेमचन्द्र बन्नेमां मळे छे. आवी रचना लघु होय, गोपीकृष्णने लगती होय अ पण स्पष्ट छे. ओमां कोई आवी आख्यानक रासरूप कृतिनो निर्देश नथी. जैन परम्परामां आ रीतनी रचनाओ सरूपे गवाती थई से पाछळनी घटना छे. 'रास रमेवउ' ओवा स्पष्ट निर्देश छे. केटलीक दीर्घ कथाकृतिओ आ रीते गवाती होय, दा.त. श्रीपाल रास, ओवो सम्भव पण नकारी न शकीओ. परन्तु आना कारणे स्त्रीपुरुषना मण्डलाकार नृत्यरूपे प्रस्तुत थती राससाहित्यान्तर्गत रचनाओ : आवो अर्थ करवो अतिव्याप्ति छे. छेक मध्यकालमां पण रामकथादि विषयक हजारो पंक्तिनी रचनाओ छे ते आ प्रकारनी समूहगेय रचनाओ नथी. अ ज रीते ज सेंकडो मनोरंजक कथाओ छे, विक्रमकथाचक्र अन्तर्गत अनेक कथाओ छे शीर्षके - प्रकारे रास स्वरूपनी मानी लीधी से गेयढाळ धरावती पद्यकथाओ छे. धर्मपन्थसंलग्न सेवा प्रबन्धजातिना आ रासक छन्दनी कथारचनाओने जैनस्रोतनी रचनाओ तरीके 'राससाहित्य'मां ज मूकवी ओ ओक कामचलाउ स्वरूपलक्षी धोरण छे. खरेखर सेक्युलर आर्टना धोरणने ज दृष्टिमां राखीने जैनस्रोतनी राससाहित्यमां, ओक प्रकीर्ण जेवा स्वरूपमां मूकवाने बदले आ कृतिओने शुद्ध साहित्यिक धोरणे तो सर्वसामान्य ओवा साहित्यिक स्वरूपनी दृष्टि १. आख्यान, २. पद्यवार्ता, ३. औतिहासिक प्रबन्ध ओवा स्वरूपोमां ज तपासवी जोईओ. जूना इतिहासो लखायेला त्यारे हजु जैनस्रोतनी कृतिओनुं बहु ओछाना ध्यानमां आवेलुं. मो.द. देशाईना ग्रन्थो तथा अन्यत्र प्रसिद्ध थयेली आ धर्मपन्थस्रोतनी कृतिओ बहु ओछाना ध्यानमां आवी. डॉ. ह. चू. भायाणी, डॉ. के. का. शास्त्री वगेरेना ध्यानमां, डॉ. सांडेसरा अने अन्य केटलाक विद्वानोना ध्यान - अभ्यास - परिशीलनमां आ समर्थ कथाश्रयी स्रोत हतो. आथी ज 'राससाहित्य' ओवी ओक जनरल केटेगरी ऊभी थई त्यारे डॉ. के. का. शास्त्रीने रासकृतिओने १. पौराणिक, २. मनोरंजककथाश्रयी, ३. उपदेशात्मक अने ४. प्रकीर्णादि प्रकारमां वहेंचवी पडी. परन्तु हवे ज्यारे आ बधुं स्पष्ट थयुं छे त्यारे राससाहित्यनी कृतिओने मध्यकालीन गुजराती साहित्यमां जातिप्रकार अने स्वरूपनी दृष्टि आ ते मूकवी जोईओ :
SR No.520576
Book TitleAnusandhan 2018 11 SrNo 75 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2018
Total Pages220
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size19 MB
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