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________________ ७८ अनुसन्धान-७३ विहंगावलोकन - उपा. भुवनचन्द्र अनुसन्धान-७२ना सम्पादकीय निवेदनमा जैन इतिहासना पुनर्लेखन विशे केटलीक मुद्दानी वातो थई छे. आ वातो कोईके करवा जेवी हती ने योग्य रीते ज ते थई छे. संशोधन/इतिहास जेवा क्षेत्रे श्रमणसंघ हजी कदाच 'मुग्ध तरुण'नी मानसिकतामांथी बहार आव्यो नथी. (जो के आ वात विज्ञान, संगीत जेवा क्षेत्रे पण एटली ज लागू पड़े अने श्रावकवर्गने पण लागू पडे.) इतिहासलेखके इतिहास शोधवानो होय छे, रचवानो नहि. मुग्ध किशोर हवाई किल्ला चणे एम अतिउत्साही मुग्ध भाविक जनो दन्तकथा के मान्यतानी आसपास काचा-पाका साक्ष्यो- पूराण करी तेने इतिहासनो आकार आपता होय छे. इतिहासकारे कया प्रकारनी सज्जता केळववी पडे अने सज्जता केळव्या पछी केवा प्रकारचं काम करवू पडे - तेनो ख्याल, जरा मर्माळी रीते, पण शब्दो चोर्या विना, सम्पादक आचार्यश्रीए सम्पादकीयमा आप्यो छे. स्तोत्रसाहित्यनी एक अधूरी रचना 'विज्ञप्तिका' 'भेजानुं दहीं' करावे एवी छे. एक ज श्लोकमांथी चोवीश तीर्थंकरोनी स्तुतिनो भिन्न भिन्न रीते अर्थ करवामां आव्यो छे. ११मा तीर्थंकर सुधीनी ज व्याख्या उपलब्ध छे. आवी कृति सम्पादित करवी ए पण मानसिक श्रम मागी ले एवं काम छे. महामन्त्री वस्तुपालना सुकृत्योनी दस्तावेजी नोंध समावती बे प्रशस्तिओ आ अंकमां सर्वप्रथम वार प्रगट थाय छे, जे आ महान नरवीरना कर्तृत्वना आलेखमां घणो बधो उमेरो करे छे. मन्त्रीश्वरे मात्र जैनधर्मनां ज कार्यो कर्यां - एवं नथी; अन्य धर्मनां तथा प्रजाकीय सुखाकारीनां कार्यो पण ढगलामोढे कर्यां छे. आ प्रशस्ति कोई जिनालयमां उत्कीर्ण हती, ते मूळ शिलालेख मळतो नथी, तेनी प्रतिलिपि कोईके करी राखी हती, ते मळे छे. आ प्रशस्तिनो पाठ शुद्ध करवामां सम्पादक मुनियुगले खासी महेनत उठावी छे. थोडा शंकित । त्रुटित स्थानोमां संमार्जन सूझ्यां छे, ते नोंg छु : प्रथम प्रशस्ति. श्लो. ११मां ल्वा(?) छे त्यां छायादायाद° पाठ संगत
SR No.520574
Book TitleAnusandhan 2017 11 SrNo 73
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages86
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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