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सप्टेम्बर
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२०१७
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छे. मलविगमरूप क्रिया चित्तस्वरूप अधिकरणमां प्रवर्ते छे तो तेनाथी जन्य पुष्टि- शुद्ध्यात्मक धर्म पण चित्तमां ज ऊगे, अने तेथी धर्म 'चित्तप्रभव' ज गणाय. आ भाव अत्रे आम सूचवायो छे - यत:- जे कारणथी, कार्यं - कोईपण कार्य, क्रियाधिकरणाश्रयं- क्रियाना अधिकरणमां आश्रित (क्रियाया अधिकरणं क्रियाधिकरणं, तद् आश्रयो यस्य तत् क्रियाधिकरणाश्रयं) होय छे माटे धर्मश्चित्तप्रभवः - कार्यस्वरूप धर्म पण मलविगमात्मक क्रियाना अधिकरणरूप चित्तमां जन्मनारो होय छे. आ सन्दर्भे हवे पछीनी पंक्तिओ बहु ज योग्य रीते संगत थई शक ओम जणाय छे.
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