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________________ अनुसन्धान-७३ जीरावला तीर्थना केटलाक लेखो - सं. उपा. भुवनचन्द्र कोई मुनिवरे जीरावला तीर्थना मन्दिरमांना लेखो जेमां ऊतारी राखेला एवो एक कागळ अमारा हस्तकना संग्रहमां मळी आव्यो छे. लेखो जाते वांचीने ऊतार्या होय एम जणाय छे. जूना मन्दिरनी देवकुलिकाओ, चोकीयारा अने स्तम्भ ऊपरना लेखो छे. एक लेख वावनो छे. ११मा सैकाथी १९मा सैका सुधीना आ लेखो छे. जेवा मळ्या एवा लेखो अहीं कालक्रमे संकलित करीने मूक्या छे. आ लेखो क्यांय प्रगट थया छे के केम - तेनी जाणकारी नथी. कोईना ध्यानमां होय तो जणाववा विनन्ति. संघो के समूहो यात्रा करवा आवता त्यारे देरासरना स्तम्भ ऊपर तेनो लेख कोतरवानी प्रणालिका हती. राणकपुर, मीरपुर वगेरे स्थाने आजे पण आवा लेख जोवा मळे छे. आजकाल जूनां मन्दिरोना स्थाने नवां मन्दिरो निर्माण करवानुं चलण वध्यु छे. जूना स्थापत्यना नाश साथे आवां ऐतिहासिक साधनो पण नष्ट थाय छे. प्राचीन जिनालयनी पवित्रता अने विशेषताओ पण नष्ट थाय छे, परन्तु तेनी चर्चा करवानुं आ स्थान नथी. आवां साधनो / प्रमाणो साचवी लेवा जेटली काळजी रखाय तो पण सारूं. जीरावलाना जूना मन्दिरमांना आवा लेखो साचवी रखाया छे के केम तेनी समज नथी. कोई महात्माए ऊतारी राखेला आ लेखो अहीं संगृहीत थई शक्या तेनो आनन्द छे. शिलालेखो १. सं. १०३३ वर्षे पोस सुदि १४ सोमे श्रेष्ठि गुणसौभाग्य पुत्र प्रवास (?) भाई हरभं पुत्र धरमसी... २. संवत् १३५१ वर्षे श्रीब्रह्माणगच्छ चैत्य मडाहडीय श्रीपुनसीह भार्या पद्मल पुत्र पद्मसिंहेन जैनयुवेता (?) स्व (?) प्रतिष्ठितम्. ३. संवत् १३५१ वर्षे महा वदि १ सोमे प्राग्वंशे प्राग्वाड्गोत्रीय श्रेष्ठी साजन सा.(भा.)राहल पुत्र पुवसी ढला सालहा लज्जालु (भा.जालु) (भा. पद्मल?) पुत्र पद्मसिंहेन श्रीभट्टारकनेमिसिंहेन प्रवरविजयसिंहसूरि ब्रह्माणगच्छे
SR No.520574
Book TitleAnusandhan 2017 11 SrNo 73
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages86
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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