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जून - २०१७
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२२ अवलोकन, शाम्ब तथा प्रद्युम्न [शिखर] उपर पुरुषोनी मूर्तिथी युक्त
जिनेश्वर परमात्मानी त्रण देवकुलिकाओ बनावी. २३ पोताना दादा-दादी, माता-पिता तथा बहेन जाल्हा(जालू?)ना अस्थिने
पृथ्वीमां दाटी रैवतदेवता(नेमिनाथ प्रभु)ना जिनालयनी आगळ स्तम्भो
बनाव्या. २४-२५ तेजपाले उज्जयन्तगिरिनी नीचे संघना आवासने माटे दुकान, घर,
परब, वाव तथा संघपतिना घरथी शोभतुं, श्रेष्ठ किल्लावाळु 'तेजपालपुर'
नामनुं गाम वसाव्यु. २६ त्यां पिताना श्रेयने माटे 'आशराजविहार' नाम, चैत्य तेमज वसति
(उपाश्रय) बंधाव्यां तथा नगरनी बहार माताना पुण्यने माटे 'कुमारदेवीसर' नाम, सरोवर बनाव्युं. पार्श्वनाथ प्रभुनी पूजाने माटे बगीचो बनाव्यो. पोतानी नगरी अने वामनपुरीनी वच्चे मोटी वाव बंधावी. वामनस्थली (वंथळी)मां वसति (उपाश्रय) बनावी. उज्जयन्तगिरिना मार्गनां इंधुमधुर (?) पुरीमां वीरधवल तथा जयतल्लदेवीना नामथी शिवमन्दिर, देरासर, धर्मशाळा, सरोवर अने परब बनाव्यां.
वस्त्रापथमां आदिनाथ प्रभुनुं जिनालय अने कालमेघनो मण्डप बनाव्यो. ३२. (अर्थ स्पष्ट थतो नथी.)
देवपत्तनाधिकार वस्तुपाले देवपत्तनमां (प्रभासपाटणमा) सोमनाथमहादेवनी जगतीमां राजा वीरधवलना श्रेयने माटे वीरधवलेश्वर तथा जयतल्लदेवीना श्रेयने माटे जयतल्लेश्वर महादेवनी स्थापना करी. देवपत्तनाधिकारना पद्य ३थी लई, स्तम्भतीर्थाधिकारना पद्य २८ सुधीनी प्रशस्तिनो सारांश अनुसन्धान ७०मां आप्यो छे, तेथी फरी तेनो उतारो कर्यो नथी. . . --- २७-३० आसराजविहार अने कुमारविहार नामनां ऋषभदेव अने
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