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________________ अनुसन्धान-७२ तेमज नानाभाई(तेजपाल)नी गजारूढ मूर्तिओ स्थापित करी. ६-७ ते [चैत्य]नी डाबी बाजु ललितादेवीना श्रेयने माटे पोतानी, ललितादेवीनी तथा पूर्वजोनी मूर्तिओ सहित सम्मेतशिखरतीर्थनी रचना करावी. ते[चैत्य]नी दक्षिण बाजु सौख्यलताना सुकृतने माटे पोतानी, सौख्यलतानी माता कुमारदेवीनी तेम ज बहेननी मूर्तिसहितनी अष्टापदतीर्थनी रचना करावी अने तेमां श्लोकबद्ध २ प्रशस्तिपट्टो कराव्या. वस्तुपालविहार, सम्मेतशिखर तथा अष्टापद - ए त्रणे चैत्योनां तेणे त्रण तोरण कराव्या. वस्तुपालविहारनी पाछळ कपर्दियक्ष- मन्दिर बनाव्युं. ऋषभदेवनी माता मरुदेवी- मन्दिर बनाव्युं अने तेमां जिनमातानी गजारूढ मूर्ति करावी. १३ नेमिनाथ प्रभुना चैत्यमांत्रण द्वारवाळा मण्डपमां सफेद आरसनां त्रण तोरणो बनाव्या. . . १४ ते चैत्यनी उत्तर तथा दक्षिण बाजुए पिता आसराज तथा पितामह सोमनी घोडा पर आरूढ थयेली मूर्तिओ बनावी. ते मूर्तिओनी पासे तेणे माता कुमारदेवी तथा दादीनी मूर्तिओ बनावी. नेमिनाथ प्रभुना चैत्यनी त्रिकमां माता-पिताना श्रेयने माटे अजितनाथ तथा शान्तिनाथ भगवाननी कायोत्सर्गस्थ मूर्ति स्थापित करी. (श्लोक त्रुटित छे.) पांपा नामना मठनी पासे सरस्वतीनी मूर्ति, प्रशस्तिलेख तथा पूर्वजोना मूर्ति-युग्म सहितनी त्रण देवकुलिकाओ करी. नेमिनाथ प्रभुना जिनालयना मण्डप उपर सुवर्णनो कळश पधराव्यो. अम्बिकादेवीना मन्दिरमां मण्डपनी रचना करावी अने त्यां आरस पहाणनी जिनेश्वर प्रभुनी देवकुलिका बनावी. २१ अम्बिकादेवी, आरसपहाण- परिकर बनाव्यु. १८
SR No.520573
Book TitleAnusandhan 2017 07 SrNo 72
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages142
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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