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________________ जून - २०१७ १९ ५३ वाग्भटपुरनी अन्दर गुरुमूर्ति तथा प्रशस्तिथी शोभती वसति (उपाश्रय) बनावी. पुत्रना श्रेयने माटे वाग्भटपुरनी बहार प्रपा (परब) बनावी. आदिनाथ प्रभुनी पूजाने माटे पथ्थरथी बांधेला कूवाथी युक्त 'वस्तुपालगिरि' नामनी पुष्पवाटिका (बगीचो) बनावी. शत्रुञ्जयना मार्गना विभूषण समान वल्लभीना आदिनाथ प्रभुना चैत्यनो जीर्णोद्धार कराव्यो. त्यां एक कूवो अने परब कराव्या. वटवृक्ष, कूवो तथा मण्डपिका (बजार?) सहितनुं वालाक ('वाळाक प्रदेश)- भण्डपद्र (भंडारिया?) गाम शत्रुञ्जयने आधीन कर्यु. वालाकना अंकेवाळिया गाम अने चरोतरना वीरेज्य गामने शत्रुञ्जयने आधीन कर्यां. वीरेज्य गाममा वस्तुपालविहार, वस्तुपालेश्वर नामनुं शिवमन्दिर, परब अने सत्रागार कराव्या. अंकेवाळियामां वस्तुपाले पिताना पुण्यने माटे जिनेश्वरदेव- भवन (जिनालय), माताना पुण्यने माटे परब, पूर्वजोना पुण्यने माटे सत्रागार, पोताना पुण्यने माटे सरोवर, महादेव, मन्दिर तथा मुसाफरोने रहेवानां स्थानो विगेरे बनाव्यां. रैवताधिकार रैवताचलना शिखर उपर नेमिनाथ प्रभुना चैत्यनी पाछळ पोताना श्रेयने माटे 'वस्तुपालविहार' नाम, आदिनाथ प्रभुनु चैत्य बनाव्युं. त्यां पोताना पूर्वज चण्डप तथा चण्डप्रसादना सुकृतने माटे अजितनाथ तथा वासुपूज्यस्वामिना बिम्बने पधराव्यां. ते[चैत्य]ना रंगमण्डपमां चण्डप्रसादनी मोटी देहप्रमाण मूर्ति तथा वीरप्रभुनी तेमज अम्बिकानी मूर्ति बनावी. ते [चैत्य]ना गर्भगृहना द्वार पासे दक्षिण तथा उत्तर बाजुए पोतानी १-२ m 3
SR No.520573
Book TitleAnusandhan 2017 07 SrNo 72
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages142
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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