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________________ १८ २७ २८ २९ ३० ३१ ३२ ३३ मल्लदेवनी पत्नी लीलू तथा पातू, पुत्र पूर्णसिंह, पौत्र पेथडना श्रेयने माटे चार तेमज श्रेष्ठि यशोराजना श्रेयने माटे ३ देवकुलिकाओ करी. ३४-३५ [तेमां] अनुपमादेवीनी तथा पोतानी पोतपोताना देहमान प्रमाणेनी आरसनी मूर्तिओ पधरावी. ३७ अनुसन्धान-७२ ते ज मण्डपमां पोतानी तेमज ललितादेवीनी मूर्तिने माटे उत्तरमुखी स्फटिक द्वारवाळी देवकुलिका करावी. आदिनाथ प्रभुना चैत्यमां दक्षिण तथा उत्तर बाजुए चार चार चोकी करावी. ३८ ३९. आदिजिन-चैत्य पर सुवर्णकलश बनाव्यो. आदिनाथ प्रभुना चैत्य उपर पौत्र प्रतापसिंहना पुण्यने माटे त्रण मण्डपना त्रण सुवर्णना कुम्भ कराव्या. ३६ [अहीं] अनुपमादेवीना पुण्यनी वृद्धि माटे 'अनुपमासर' नामनुं सरोवर तथा एक वाडी (बगीचो) बनाव्यां. ते सरोवरना किनारा पर कपर्दीयक्ष तथा अम्बिकादेवीना मन्दिर बनाव्यां. तळावना कपर्दीयक्षना मन्दिर माटे मार्ग बनाव्यो. शत्रुञ्जय पर्वत परना कपर्दी यक्षना भवननो जीर्णोद्धार कर्यो अने तेनी आगळ एक तोरण तथा प्रदक्षिणामां आरसनी जगती करावी, तेमज अहींना पार्श्वनाथ प्रभुना [ जिनालयना ] गर्भागारनुं द्वार तथा गोखलो कर्यो. तेजपाले इन्द्रमण्डपनी पासे नन्दीश्वर नामनुं जिनालय बनाव्यं. तेनी पासे पोतानी ७ बहेनोना पुण्यनी वृद्धिने माटे ७ देवकुलिकाओ करावी. ४२ ४० - ४१ शत्रुञ्जयगिरिनी तळेटीमां रहेला वाग्भटपुरमां ललितादेवीना श्रेयने माटे 'ललितासर' नामे सरोवर बनाव्यं. ललिता सरोवरनी पाळ उपर सूर्यदेव, महादेव, सावित्री, वीर प्रभु, अम्बा तथा कपर्दि यक्षनां मन्दिरो बनाव्या.
SR No.520573
Book TitleAnusandhan 2017 07 SrNo 72
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages142
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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