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________________ जून १२ १३ १४ १५ १६ २०१७ १७ २६ आदिनाथ प्रभुना चैत्यनी आगळनी जग्यामां किल्ला सहितनी पोळ बनावी. त्यां भगवानना स्नात्र निमित्ते गजपद नामनो कुण्ड बनाव्यो. आदिनाथ प्रभुना जिनालयमां प्रवेश करवाना मार्गे डाबी तथा जमणी बाजुए जुदा जुदा मण्डपमां वडील बे भाई लूणिग तथा मल्लदेवनी घोडा पर बेठेली मूर्त्तिओ स्थापन करावी. ते बे मूर्तिनी डाबी तथा जमणी बाजुए प्रशस्तिथी युक्त सङ्घने रहेवा माटे समाजमण्डप बनाव्या. आदिनाथ भगवानना (जिनालयनी) आगळ स्तम्भनी नीचे मल्लदेवना अस्थिने दाटी तेना उपर मल्लदेवनी मूर्ति स्थापित करी. आदिनाथ प्रभुना [जिनालयना ] द्वार पर तोरणनी रचना करी. ते तोरण पासे हाथीथी शोभती जगती करावी. १७ १८ १९ त्यां आदिनाथ प्रभुना [जिनालय] पासे बे प्रशस्ति चतुष्किका (चोकी) करावी. २०-२१ आदिनाथ प्रभुना जिनालयमां प्रवेश करतां दक्षिण बाजुए पत्नी ललितादेवीना पुण्यने माटे वस्तुपाले पोतानी पत्नी ललितादेवी, ब्राह्मी (सरस्वती) तथा ब्रह्मशान्ति यक्षनी प्रतिमाथी युक्त वीरप्रभुनुं सत्यपुरावतार नामनुं जिनालय बनाव्युं. २२-२३-२४ तो उत्तर बाजुए पत्नी सौख्यलताना पुण्यने माटे समवसरण, अश्व, समडी, वटवृक्ष, मुनियुग्म, जितशत्रु राजा, शिलामेघ राजा, वणिक्, सुदर्शनादेवी, पोतानी तथा सौख्यलतानी मूर्त्तिथी युक्त मुनिसुव्रतस्वामीना. अश्वावबोधतीर्थनी रचना करी. सत्यपुरावतार तेमज अश्वावबोधतीर्थ ए बन्ने देरासरनी आगळ मोटी प्रशस्तिओ मूकावी तेमज बन्ने देरासर उपर सुवर्णना ध्वज - दण्ड पधराव्या. ते [जिनालय]नी आगळ दादा चण्डप अने चण्डप्रसादना पुण्यने माटे अजितनाथ तथा सम्भवनाथ भगवाननी मूर्ति पधरावी.
SR No.520573
Book TitleAnusandhan 2017 07 SrNo 72
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages142
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size9 MB
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