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अनुसन्धान-७२
नेमिनाथनां जिनालयो बनाव्यां. आ जिनालयो एक स्थण्डिलबन्ध पर स्थित हता. तेमनुं निर्गमनद्वार एक ज हतुं, ज्यारे बलानकमण्डप बे हता. आठ मण्डप, बावन जिनालय अने आरसपहाणना उत्तान पाटडाओथी बनावेलां द्वारोथी मण्डित हतुं. तेमां पूर्वजोना श्रेय माटे शत्रुञ्जय अने गिरनारना पट्ट पण बनाव्या हता. ते जिनालयना निर्वाह माटे बे दुकान, चार पाडा तथा एक बगीचो भेट आप्यो. आसराजविहारमां पित्तनुं समवसरण बनाव्युं. मुनिओने रहेवा माटे पांच वसति (उपाश्रय) बनाव्या. शंखराजा साथेना संग्राममा मृत्यु पामेला भूणपाल विगेरे १० राजाओ माटे महीनदीना कांठे ते-ते नामवाळी शिवनी १० देवकुलिका बनावी. तथा ते मन्दिरनी जगतीमां पोतानी कुळदेवी चण्डिका तथा दरियादेवनी देवकुलिकाओ करी. तेनी आगळ चार स्तम्भोने विषे तोरण बनाव्या. तपस्विओने रहेवा माटे मठ(आश्रम) बनाव्या अने तेना निर्वाह माटे घणी जूदा जूदा प्रकारनी आवकव्यवस्था करी. तथा भीमेश्वर नामना शिवमन्दिर पर स्वर्णना ध्वजदण्ड-कळश स्थापित कर्या. ते ज मन्दिरना गर्भगृहमां पोतानी कुळदेवी चण्डिकानी मूर्ति तथा गोखलामां पोतानी अने तेजपालनी मूर्ति स्थापित करी. ते गर्भगृहनी परिधिमा दोला बनावी, तेनी सामे वृषभ (नंदी) बेसाड्यो. नवो चण्डीमण्डप बनाव्यो. पोतानी पत्नी ललितादेवीना श्रेयने माटे वस्तुपाले वटसावित्री, मन्दिर बनाव्युं. भीमेश्वर नामना शिवालयनी फरते आगळ पोळवाळो (सप्रतोलीक) वाडो बनाव्यो.