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________________ अनुसन्धान-७१ करेली. ते सन्दर्भे-) दिगम्बर (कुमुदचन्द्र). घटिकागृह (राजभवन- नोबतखानु). पाछली पोळ, राजानुं अन्तःपुर (बे स्त्रीओ देखाय.) (अहीं पाटलीनी बीजी बाजु पूरी थाय.) आगळनो घटनाक्रम ढूंकमां जोईए : राजमाताए उघाडा पक्षपातनो इन्कार कर्यो, पण आचार्यनी बहु ज समजावटथी वादनी शरतमां ढील स्वीकारी. वाद पूर्वे शरत थई के जो श्वेताम्बरो हारे तो ते तमाम श्वेताम्बरोए दिगम्बर थई जवान. अने दिगम्बरो हारे तो तेमणे गुजरातमांथी नीकळी जवानु. (पक्षपात स्पष्ट छे. अन्यथा तेमणे श्वेताम्बर थर्बु पडे.) राजसभामां वाद थयो. तेनुं वर्णन मळे ज छे. अन्ते दिगम्बरो हारी गया. देवसूरिनो विजय थयो. कुमुदचन्द्र जवाब न आपी शकतां निरुत्तर थतां हारेला जाहेर थया. ते वखते एक कविए आ श्लोक लख्यो : यदि नाम कुमुदचन्द्रं नाऽजेष्यद् देवसूरिरहिमरुचिः । कटिपरिधानमधास्यत कतमः श्वेतम्बरो जगति ? ॥ आ समग्र घटना- तादृश वर्णन कवि-साधु यशश्चन्द्रे 'मुद्रितकुमुदचन्द्र' नामना लघु-नाटकमां कयें छे, जे प्राप्य छे. उल्लेखनीय छे के आ वाद-समये हेमचन्द्राचार्य पण देवसूरिजीनी साथे उपस्थित हता. * * *
SR No.520572
Book TitleAnusandhan 2016 12 SrNo 71
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages316
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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