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________________ ओक्टोबर-२०१६ ८३ पाटली उपरना अक्षरो लेखना आरम्भे प्रकाशित छे. ते अनुसार परिचय करीए : चित्र १ : आशापल्ली (आशावल, हाल- असारवा- अमदावाद, त्यां नेमिनाथनुं चैत्य छे. तेनी बहार घटिकागृह (चोघडियां वगाडवानुं स्थान, नगारखानु) छे. चैत्यना परिसरमांनी 'वसति'मां आ. देवसूरि, सामे शिष्य पं० माणिक्यचन्द्र छे. तेमने मळवा 'चाहड' आदि दिगम्बर गृहस्थो आव्या - बेठा छे. चित्र २ : दिगम्बर कुमुदचन्द्र, सामे एक शिष्य, पछी दिगम्बर श्रावको (२) छे. तो, देवसूरिजी पासे दिगम्बरोनो भाट सन्देशो कहेतो जणाय छे. (वाद माटेनो हशे.) चित्र ३ : (देवसूरिनां माता जैन साध्वी (आर्या) छे. ते बहार जईने आवतां हशे, तेमने दिगम्बर आचार्ये जोयां. पासे बोलावीने आज्ञा करी के मारी सामे नाच. तेना भक्तोए तेनो बलात् अमल कराव्यो हतो. पोते राजमान्य होवाना उन्मादमां आ कार्य करेलुं. ते सन्दर्भमां-) गर्वोद्धत कुमुदचन्द्र वृद्ध आर्यिकाने नचावे छे. (त्यांथी छूटेलां-) आर्या देवसूरि पासे जईने रहे छे, (धा नाखे छे के तारा जेवो दीकरो होय ने मारी आ हालत थाय ?). पछी दिगम्बर आचार्य छे, तेनी सामे पेलो भाट (सन्देशो पहोंचाडीने पाछो फर्यो हशे) छे, ते पछी वणिग्जनो, माळीओ व्यापार करतां देखाय छे. (अहीं पट्टिकानी एक बाजु समाप्त थाय छे.) चित्र ४ : (पट्टिकानी बीजी बाजु :) श्रीदेवसूरि पाटण भणी जवा पगपाळा नीकळे छे, ने सामे भगवानना रथनां शुकन थाय छे - वाजिन्ननाद साथे. तो ते पछी तरत दिगम्बर कुमुदचन्द्र पालखीमां बेसीने (पाटण भणी) जई रह्या देखाय छे. चित्र ५ : ते कुमुदचन्द्रने सर्प आडो ऊतरतो देखायो. वाटमां श्वभ्रवती - साबरमती नदी आवी छे. (हवे राजमाता मीनलदेवी मूळे कर्णाटकनां अने दिगम्बर मतनां हतां. आ आचार्य तेमना परिवारना गुरु हता. तेथी तेमणे मीनलदेवीनो पाछला दरवाजे सम्पर्क साधीने राजा पोताना पक्षे रहे तेवी पेरवी
SR No.520572
Book TitleAnusandhan 2016 12 SrNo 71
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages316
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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