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________________ अनुसन्धान-७१ श्रीवादीदेवसूरि-चरित-महाकाव्य-सम्बन्धित ऐतिहासिक नोंध -शी. (१) आशापल्यां नेमिचैत्यं ॥ घटिकागृहं ॥ श्रीदेवसूरयः ॥ पं०माणिक्यः ॥ चाहडप्रभृतिदिगम्बर श्रावकाः ॥ (२) कुमुदचन्द्रः ॥ दिगम्बरश्राद्धाः || श्रीदेवसूरिसमीपे दिगम्बर भट्टः...... पठति ॥ (३) कुमुदचन्द्रः ॥ वृद्धार्यिकां नर्तयति गर्वात् ॥ श्रीदेवाचार्याग्रे वृद्धार्या रोदिति ॥ दिगम्बरः ॥ भट्टः ॥ वणिजः ॥ मालाकारभटाः ॥ (४) श्रीदेवसूरयः पत्तनं प्रति प्रचलिता रथशकुनमभिनन्दयन्ति ॥ (५) कुमुदचन्द्रः ॥ . (६) कुमुदचन्द्रः सर्प पश्यति ॥ स्वभ्रवती नदी ॥ दिगम्बरः घटिकागृह पाश्चात्यप्रतोली - राजान्तःपुरं ॥ आ अङ्कमां श्रीवादिदेवसूरिचरित महाकाव्यनो उपलब्ध चार प्रस्तावात्मक अंश प्रकाशित छे. तेमना जीवननी एक अद्भुत, यशस्वी अने ऐतिहासिक घटना एटले दिगम्बर जैन साधु वादी कुमुदचन्द्र साथे वादनी घटना. ते घटना इतिहास-सिद्ध घटना छे. अनेक ग्रन्थो तथा प्रबन्धोमां ते विषे नोंधो छे. एक नाटक पण ते घटनाना आंखे देख्या अहेवाल जेवं, ते दिवसोमां ज, लखायुं छे. तो ते समग्र प्रसंगने आलेखतां चित्रो धरावती काष्ठपट्टिका पण, ते अरसामां ज चित्रित, उपलब्ध छे. तेनी अन्यत्र प्रकाशित तसवीरो, आ महाकाव्यना अनुषङ्गे अहीं (टाइटल-३,४) पुन: प्रकाशित थाय छे. ताडपत्र-पोथीनी पाटली लाकडानी बनती. ते पाटली उपर क्वचित् आवां चित्रो आलेखवामां आवतां. आ एक ज पाटली छे. तेनी बेय तरफ आ प्रसङ्ग दोरायेलो छे. अलबत्त, पाटली हमेशां जोडीमां होय. आ एक ज छे, तेथी प्रसंगनो पूर्वार्ध मळे छे, उत्तरार्ध नहि. जोडीनी बीजी पाटली होय ज, परन्तु ते कालग्रस्त होय अथवा ते परनुं चित्राङ्कन उखडी जईने नामशेष थयुं होय तेम मानवू पडे.
SR No.520572
Book TitleAnusandhan 2016 12 SrNo 71
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages316
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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