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________________ २६० अनुसन्धान-७१ प्रतिभापुञ्जनी विदाय - डो. कुमारपाळ देसाई पद्मभूषण मधुसूदन ढांकीनी विदाय साथे अनेकविध क्षेत्रोमां विहरती समर्थ प्रतिभानी विदायनो अनुभव थाय छे. तेओ एक अर्बु प्रतिभाबीज हता के ओ जे जमीन पर पडे, त्यां ऊगी नीकळे अने म्होरी ऊठे. ८९ वर्षे विदाय पामेला ढांकीसाहेबनी विद्याउपासना छेल्ले सुधी चालु रही. छेल्ले छेल्ले नबळा स्वास्थ्य वच्चे पण स्फूर्तिथी लेखन-संशोधन करता मधुसूदन ढांकी हसतां हसतां कहेता के मारी दशा तो स्टीफन हॉकिन्स जेवी छे. आ शरीर पर सोळ सोळ ओपरेशन थयां छे, पण हजी मगज पूरेपूरुं साबूत छे.. __१९२७नी ३१मी जुलाईओ डॉ. मधुसूदन ढांकी पोरबन्दरना दशाश्रीमाळी जैन वणिक कुटुम्बमां जन्म्या. पिता अमीलालभाई अने माता रळियातबहेनना आ सन्ताने प्राथमिक अने माध्यमिक शिक्षण पोरबंदरमा प्राप्त कर्यु. अहींनी भावसिंहजी हाइस्कूलनुं सूत्र हतुं 'रसौ वै सः'. ढांकीसाहेबने आ सूत्र पासेथी जगतना कलापदार्थोमां अने आसपासनी जीवन्त सृष्टिमां निहित सौन्दर्यने जोवानी दृष्टि मळी. उमाशंकरनी माफक 'सौन्दर्यो पी उरझरण गाशे पछी आपमेळे...' ओ पंक्तिनुं स्मरण श्री मधुसूदन ढांकीना रसनां क्षेत्रो, विशाळ विश्व जोई त्यारे थाय. ऊंचा गजाना स्थापत्यविद्, इतिहासविद् अने कलाविवेचक तो खरा ज, परन्तु अथीय विशेष शास्त्रनी कोई वात करवी होय, मन्दिरनी बांधणी विशे कोई चर्चा करवानी होय, जैनदर्शननी कोई विभावनाने स्फुट करवानी होय - बधे ज अमनी कलारसिक संशोधनदृष्टि फरी वळती. केरीनी केटली जात छे, त्यांथी शरु करीने मानवीनी चाल, अंगभंग, पोशाक ओ बधां विशे तेओ निरांते विगते वात करी शकता. ___ पोरबंदर पासेना ढांक गामना वतनी होवाथी ढांकी अटक धरावता मधुसूदनभाई पुणेनी फर्ग्युसन कालेजमांथी भूस्तरविद्या अने रसायणशास्त्रना विषयो साथे बी.एससी.नी पदवी प्राप्त करी. ओ पछी सेन्ट्रल बेंकनी नोकरीथी कारकिर्दीनो प्रारम्भ कर्यो. १९५१मां अन्य मित्रो साथे पोरबंदरमा पुरातत्त्व संशोधन मण्डळनी स्थापना करी अने पोरबंदरनी आसपास जूनां स्थापत्योनी
SR No.520572
Book TitleAnusandhan 2016 12 SrNo 71
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages316
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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