________________
२४०
अनुसन्धान-७१
'त्रण समांतर गूढ विचारबिन्दुओ...' अढी हजार वरस पहेलांनो ग्रन्थ, ई.स. बीजी सदीनी प्रचलित वात, इन्डोलोजीना तज्ज्ञो माटे महत्त्वनी सामग्री. साथे १६मी सदीना चीनी दार्शनिकना विधानने विद्या अने कलाप्रीतिथी मूकी आपे छे. चैतसिक विशाळतानो अनुभव थाय छे. ___ आंग्ल प्रजानी सुसभ्यता, अमेरीकी प्रजानी सुसभ्यतानां लखाणो कल्चरनां अंश-सिविलायझेशनने प्रगट करे छे. राष्ट्रना नागरिको कोई मोटी घटना दरम्यान नहीं, रोजबरोजनी जिंदगीनी नानी-नानी सामान्य बाबतो गणाय तेमां सामेनानी केटली काळजी ले छे, तेना आधारे प्रजार्नु चारित्र्य-खमीर परखातुं होय छे. ___ आपणे त्यां खरीदीमां प्रथम कहेवाएल भाव हास्यना उद्भव माटे छे तेम मनाय छे. त्यारे ग्राहकलक्षी अभिगम, रुचिनी कदरना प्रसंगो फक्त लेवडदेवडनी बयानबाजी नथी. ढांकीसाहेब अने तेना सम्पर्कमा आवेल लोकोनी एस्थेटिक सेन्स पण दर्शावे छे. तो चार प्रसंगचित्रो भारतीय परिवेशना छे. महेमान गणाती व्यक्ति परत्वे सामान्य व्यक्ति केवी रीते परम्परा निभावे छे ते जोवा मळे छे.
___ धर्मस्थानकोना विधि-निषेध वच्चे भक्ति-गान करनार परत्वेनो आदर प्रगट थाय छे. बे अन्यत्र प्रसंगचित्रमा बौद्ध-धर्मी श्रीलंका के शैव गणाता तमिलनाडुमां "विद्वान सर्वत्र पूज्यते"नी प्रतीति थाय छे. तो कोणार्क, जगन्नाथपुरी, महाबलिपुरम्, सिंहनाद (रामेश्वर नजीक), म.प्र.मां शोण नजीकनुं चंदरेहे स्थानविशेषमां फक्त भूमिनो मिजाज नथी. ____ तळाव, नदी, समुद्रना जलनो महिमा के चान्दनी रातना ऐश्वर्यनी ल्हाणी नथी. अहीं छे प्रकृतिना तत्त्वनो अनुबन्ध. समग्र अस्तित्त्व साथेनो अनुबन्ध. चांदनी रातमां टिकिट लई ताज जोनारनुं महत्त्व छे. पिरामीड जोवा जवाना पेकेज रजू थाय छे. अहीं श्रेष्ठ रीते बहिर-आन्तर सौन्दर्यबोध कराववामां निमित्त बननार धर्म-स्थापत्यनी पसंदगी माटेना भू-भागने आपणां पूर्व-सूरिए कई विद्याथी आत्मसात् करेल हशे तेनो अणसारमात्र छे. जेम पाणीकळा हती तेम भूमिकळा पण हशे. ते रहस्य गजु के शुं ? 'काव्यशास्त्र विनोदेन कालो गच्छति