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ओक्टोबर-२०१६
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संजोगो प्रमाणे ते मर्यादित बनी गई. मधुसूदनभाई पाछला लगभग दोढ दायकाथी पुरातत्त्व संशोधन मण्डळना प्रमुख हता. 'ऊर्मि नवरचना', 'कुमार', 'स्वाध्याय' जेवां सामयिकोमा मण्डळना विभिन्न सभ्योना लेखो प्रकाशित थता. गुजरातनुं पारावार पुरातत्त्व, लोकजीवन, इतिहास, सन्तसाहित्य आ रीते मुद्रित स्वरूपे सुलभ बनतुं रह्यं.
ई.स. १९५७मां सौराष्ट्र राज्यना पुरातत्त्व खाताना सहकारथी मण्डळे कच्छ-सौराष्ट्रना भरतगूंथण तथा मोतीकामना नमूनाओ, प्रदर्शन पोरबन्दरनी रामबा स्त्रीविकासगृह संस्थामां योजेलं. मधुसूदनभाई त्यारे सम्भवतः जूनागढ म्युझियमना क्युरेटर हता. पोरबन्दर युवराज उदयभाणसिंहजीनी साथे जयमल्लभाई उपरोक्त प्रदर्शन जोवा गयेला. पोरबन्दरना तत्कालीन धारासभ्य मथुरादास भूप्ताले मण्डळना सभ्यो साथे जयमल्लभाईनो परिचय कराव्यो. आ सन्दर्भमां तेओ लखे छे : '१९५७मां पोरबन्दरमा मणिभाई वोरा अने ओमना संशोधन मण्डळे लोकभरतनुं प्रदर्शन योजेलं, ते जोतां तो हुँ हेरत पामी गयेलो. लोकभरतना अमां गृहसुशोभन, पशुशणगार अने वस्त्रालङ्कारथी मांडीने हाथीनी झूलो सुद्धां अमां जोई, भरतना तमाम प्रकारोनी, तमाम कामोनी विशिष्टता साथे अमां जोतां थयुं के आटली कलासमृद्धिवाळी प्रजा कदी दीन के हीन होई शके नहीं. मात्र से प्रजाओ अनु आत्मभान ज खोयुं छे. मणिभाई वोराना शिष्य मधुसूदन ढांकी तमाम कलाना मर्मज्ञ अने पुरातत्वविद् छे. अमने त्यां बहु सुन्दर नमूना जोया, अमनुं लोकभरतनुं ऊंडुं ज्ञान जोईने ग्रन्थरूपे ते आपवा में आग्रहभर्यु सूचन करेलुं. सौराष्ट्र राज्य दरमियान तैयार थवा मांडेलुं पुस्तक लांबा समयने अन्तरे, गुजरात राज्य दरमियान १९६६मां बहार पड्यु. हीर मोतीना श्रेष्ठ नमूनाना मूळ रंगोनी प्लेट साथे वैज्ञानिकता, तिहासिकता अने संस्कारितानी द्रष्टिले ओ ग्रन्थ गुजरातना गौरव समो बन्यो छे. मणिभाई वोरा, मधुसूदन ढांकी अने जयेन्द्र नाणावटी अना सर्जको छे. ओ ग्रन्थ अंग्रेजीमां प्रगट थयेलो छे, 'अम्ब्रोईडरी अन्ड बीडवर्क ओफ कच्छ अन्ड सौराष्ट्र.'