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अनुसन्धान-७१
काम चाले पण कदी कंटाळो न आवे. हळवा वार्ताविनोद अने टीखळ-रमूजथी, वातावरण प्रफुल्लित अने जीवन्त राखे.' . देशपरदेशना प्रवासे जाय त्यारे सहकार्यकरो, सगां, स्नेहीजनोने गमती चीजवस्तुओ भेट आपवा तेओ शोधता ज रहे. आपवामां एमने आनन्द आवे छे. कहे छे, 'लेनार- मों स्नेहथी केवू चमकी ऊठे बस ए ज मारी खुशी.'
पोतानी प्रसन्नता, आनन्द पण ए वहेंचता ज रहे छे. वरसो पहेला लखायेलां एमनां लखाणो में वांच्या छे. कोईक शिल्प के स्थापत्य जुए तो एमनो प्राण खीली ऊठे, एमनो संवेदनशील जीव एनी सुन्दरतानुं गान गाई ऊठे, चित्रात्मक शैलीथी, सूक्ष्म विगतो आपीने समृद्ध तादृश चित्र खडं करे. क्यां क्यांथी सन्दर्भो आपीने आपणने विस्मित करी दे. ईडरनी रणमल चोकी वर्णवतां लखे छे : ___'आ शिलाओनी पाछळ पृथ्वीना भूस्तरनी बीजी अवस्थाना अबजो वर्ष पुराणा, उत्तुङ्ग अने तोतिंग खडको हारबंध ऊभा रही गया छे. आ पाषाणनी रूपसृष्टि वच्चे थईने चालवाथी अनुभवातो आह्लाद न तो गिरनार के शत्रुञ्जयमां के न तो पावागढ के आबुमां सांपडे छे.
'तद्दन गडगडिया नहीं पण अणियाळा अणघड पथ्थरोना खडकलाथी रची दीधेलां एक पहोळा पण नीचा किल्लानी रांगने छेडे बूरजने स्थाने, ऊंचे रणमल चोकीए आसन मांड्युं छे.' ___आ खडकोनुं अद्भुत लावण्य दर्शावतां ए जापानना चित्रकारो अने उद्यान-कलाधरोनेय याद करे छे, जे खडकोनी शोभानो महिमा गाता थाकता ज नथी अने तेना निजस्वी तथा नैसर्गिक सौन्दर्यने प्रीछी पोतानी कलाकृतिओमां सदाय स्थान आपे छे.
मस्जिदना जाळीकामने 'कोई निझामीना जरीभरत जेवी अटपटी पण चोटदार झीणवट' साथे सरखावे छे.
गुजरातनी जालसमृद्धिने वर्णवतां नीचे प्रमाणे विधान एक उत्तम कोटिना सर्जक अने कलाकार सिवाय कोण करी शके ?
'लोबाननी ऊंचे सरी जती धूम्रसरो पासे थता पवित्र कुराननी आयातनां उच्चारणोथी प्रगट थतां इस्लामन गाम्भीर्यने जो कोइ योग्य पार्श्वभूमिका