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ओक्टोबर-२०१६
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___ 'आना लीधे ज शारदाबहेन चीमनभाई एज्युकेशनल रिसर्च सेन्टर तरफथी एक प्रोजेक्ट हाथ पर लीधो छे. जैन धर्मनो इतिहास नवेसरथी लखीने त्रण भागमा प्रकाशित करवानो. ____ 'जैनदर्शनने लगतो "निर्ग्रन्थ" नामनो वार्षिक अङ्क प्रकाशित करवानी योजना छे. जेमां आगम, इतिहास, दर्शन, साहित्य, शिल्प, स्थापत्य, चित्रकला - बधुं आवरी लेवाशे' _ 'आना माटे बीजां शास्त्रोनो अभ्यास अनिवार्य बनी रहेशे ?'
'हा, भारतीय तत्त्वज्ञान अने दर्शनशास्त्रो, वैदिक परम्पराओ, साङ्ख्य, वैशेषिक, बौद्धादि दर्शनशास्त्र, भारतीय धर्मो, प्राचीन साहित्य अने इतिहास ए बधान परिशीलन जोईए ज.'
'भाषाओ, ज्ञान पण ?'
'हा, संस्कृत, पालि, अर्धमागधी, प्राकृत, अपभ्रंश वांचवा-समजवा जेटलुं अने उपरान्त गुजराती, हिन्दी, मराठी, अंग्रेजी अने फ्रेन्च विशेषरूपे जाणुं छु.'
'तमारूं हालतुं जे लेखनकार्य छे ते ऊंडा अभ्यासीओ अने संशोधकोने लक्षमा राखीने थतुं हशे ?'
'हा, समय जतां जेना सन्दर्भ बदलाई जाय, भाषा बदलाई जाय अने मूल्य न रहे तेवू लखाण नथी लखतो.'
'वर्तमाने मारी नजर इतिहास विषय पर छे. समग्र शक्ति अने ध्यान इतिहास ने विशेषे जैनदर्शनना इतिहासने व्यवस्थित रीते शोधवामां अने प्रकाशित करवामां छे. आपणे त्यां घणा गरबड गोटाळा छे, एमांथी आस्थाओ अने कल्पनाना आधारे नहीं पण तथ्योना आधारे इतिहास लखवानो छे.'
मधुसूदनभाईना सहकार्यकरो कहे छे के, ‘एमना जेवा प्रखर पण्डित अने प्रकाण्ड विद्वान साथे काम करवू ए सद्भाग्य छे. आटलुं ऊंचुं पद, आटली सफळता, आवी आन्तरराष्ट्रीय ख्याति होवा छतां अहम्भाव नथी, दम्भ नथी, मत्सर नथी, मिजाज नथी. स्वभावे एकदम स्नेहाळ, मृदु, निखालस अने उदार छे. बीजाने सहाय करवा सदाय तत्पर रहे. बीजाना कामनी कदर करी जाहेरमां प्रामाणिकपणे एनो योग्य उल्लेख करीने प्रोत्साहन आपे. कलाको एमना साथे