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________________ ओक्टोबर २०१६ ढांकीसाहेब हसमुख हास्य सोहामणुं, नीचे खामणे देह जोतावेंत जाणी जशो ढांकीसाहेब ह. सुट-बूट शोभे घणां ने रंगबिरंगी टाइ रूडो राखे देहने, वैज्ञानिक चोकसाइ. मुट्ठी चपटी हाडकां पण बहु मोटुं मन सारप अनी पूंजी अने व्हालप एनुं धन. बेउं हाथे वावरे ए दोमदोम ठकरात जे जन पामे एकवार ए जीवनभर रळियात. खरच्युं आख्खं आयखं विधविध विद्या माट सघन संशोधन कर्तुं माथा साटोसाट. देवालय - स्थापत्यना विश्वप्रसिद्ध विद्वान भूषण भारत देशनुं पाम्या पद्मसम्मान. गुजरातना गौरव समा हता ज्ञानभंडार ए भड भंडारी गयो छोडी सकळ संसार. अडधी राते पूछवाजोग ठेकाणुं गयुं ने अंजवाळु आथम्युं घनघोर अंधारुं थयुं. हळवे हळवे शमी गया साते संगीत सूर शब्दो पण छेवट थया शांत - मौन भरपूर. राजेश पंड्या १९१ हवे ज्ञानमन्दिरनी धजा थई फरुके फरफर हळवाफूल सुगन्ध जेम वहे हवामां सररर. ए-५, ऋतुराज सोसायटी, रोड, वडोदा १. कविनो परिचय, सूक्ष्मदर्शी विवेचक-संशोधक-स - सम्पादक श्रीजयंत कोठारी सम्पादित "जयवन्तसूरिनी छ काव्यकृतिओ" ना आधारे रजू करेल छे.
SR No.520572
Book TitleAnusandhan 2016 12 SrNo 71
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages316
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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