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अनुसन्धान-७१
धरावता जनो ज करी शके. जो 'अमे ज साचा, पुराणा अने अन्य बधा नवा अने मिथ्या' एवा दृष्टिकोणथी चालीए तो आवां काम सूझे नहि, आवडे नहि, थाय नहि अने कोई करतुं होय तो तेना आदर के स्वीकार पण थाय नहि. तीर्थङ्करोए मिथ्यात्वीओनो इन्कार कर्यो होत तो तेओ कोईने सम्यक्त्वी बनावी शक्या न होत. एटले 'स्वीकार' ए धार्मिकतानो पायो बनी रहे छे. ____ विश्वकोश विषे विस्तृत जाणकारी, आ 'भूमिका' द्वारा सम्यग् मळी रहे छे. आपणे आ प्रकल्प साथे प्रेरक, सम्पादक, लेखक, अन्वेषक, प्रकाशक व. तरीके जोडायेला सर्व कोईने साधुवाद पाठवीए.
आवा प्रकल्पोमा प्रयत्न बधा विषयोनो तेमज ते ते विषयने लगती सर्व माहितीओनो समावेश करवानो अवश्य होय छे. परन्तु तेमां सर्वथा सफल थर्बु ए धार्या जेटलुं सहेलुं नथी होतुं, ते ध्यानमा राखीने ज आवा ग्रन्थने माणवाजोग छे. एवं लागे के जे काम, युवा साधु-साध्वीओना एक जूथ द्वारा थर्बु जोईए ते काम, विश्वकोश, गृहस्थवर्गना हाथे थाय छे, अने थोडाक के कोईक साधु तेमां, अंशतः, सहायक थता होय छे. निषेध करवानुं के भूलो काढवानुं बहु आसान छे, कार्य करी बताववानुं मुश्केल.
२३ तीर्थङ्करों का चित्र सम्पुट तथा जैन साधु-साध्वी दिनचर्याचित्रसम्पुट : ले. आ. यशोदेवसूरिजी, सं. मुनि जयभद्रविजयजी, चित्रकार गोकुलदास कापडिया, प्रका. - पार्श्वपद्मावती ट्रस्ट, जैन साहित्यमन्दिर, पालीताणा, प्र.आ. ई.२०१६, सं. २०७२, मूल्य : रू. १००० तथा रू. १०००
आ ग्रन्थो द्वारा बे मूल्यवान चित्र-ग्रन्थो संघने सांपड्या छे. साहित्यकलारत्न स्व. आ. यशोदेवसूरिजीए खूब महेनत उठावीने, आपणा विख्यात चित्रकार श्री गोकुल कापडिया पासे आ चित्र-सम्पुटो तैयार करावेलां, अने तेना परिचयलेख तेमणे लखेला. आजे तो बन्नेनी अनुपस्थिति छे. छतां मोडा तो मोडा, पण ग्रन्थो प्रगट थया ते माटे सम्पादकश्रीने धन्यवाद घटे छे.
भगवान महावीरनां जीवन-चित्रोनो सम्पुट, दायकाओ पूर्वे, प्रगट थयो त्यारे ज २३ तीर्थङ्करोनां जीवनना खास प्रसङ्गो आलेखतां चित्रो तैयार कराववानी तेमनी महेच्छा हती. तेमणे शास्त्रवर्णित विगतोने यथासम्भव