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________________ ओक्टोबर-२०१६ १८७ करवी ए सुज्ञ विवेकी जननुं कर्तव्य बनी जाय छे. ए कर्तव्य आ लघु पुस्तक प्रकाशित करीने श्री भूषण शाहे उचित रीते बजाव्युं छे. विडम्बना ए वातनी छे के आपणी सामे आजे हिंसा अने आतङ्क एक महापडकार बनीने वकरेलां छे तेवे समये जीवदया तथा अमारिपालन माटे प्रयोजवानी शक्ति, गच्छवादना पोषणमां तेम ज साचांखोटां प्रमाणोनी मददथी एकबीजाने खोटा ठराववाना काममा खरचाई रही छे ! सबळ साक्ष्यो तथा तथ्योनी सहाय लईने भाई भूषण शाहे गच्छवादप्रेरित असत् प्रतिपादनोने उचित रीते निरस्त कर्यां छे ते माटे तेमने धन्यवाद. ___ जैन विश्वकोश : खण्ड १, सं. कुमारपाल देसाई, गुणवंत बरवालिया, प्र. उवसग्गहरं साधना ट्रस्ट, पारसधाम, घाटकोपर, मुंबई, प्र.आ. ई. २०१६, मूल्य : रू. १५००-०० स्थानकवासी संत श्रीनम्रमुनिनी प्रेरणाथी, जैन धर्मना एनसायक्लोपीडिया-लेखे प्रारम्भायेला बृहत् प्रकल्पनो आ प्रथम ग्रन्थ छे. जैन धर्मना तमाम सम्प्रदायोनी विगतोनो समावेश करवानी तेओनी नेम छे. १०० विषयोनो अकारादिक्रमे समावेश करता आ ग्रन्थमां अनेक व्यक्तिचित्रो तथा चित्रो पण मूकवामां आव्यां छे. सम्पादकीय निवेदनरूप 'भूमिका'मां आ ग्रन्थ-प्रकाशननो आशय स्पष्ट करतां नोंध्युं छे के "जैन विश्वकोश एटले जैन धर्मनी तमाम बाबतोने आवरी लेतो कोश. आमां प्रत्येक सम्प्रदायनो समावेश करवामां आवे छे, परन्तु विश्वकोशनी आगवी दृष्टि मुजब विवादो, संकुचित साम्प्रदायिकता के टीकाटिप्पणथी अळगा रहेवामां आवे छे. एक प्राचीन अने विराट धर्मनी अनेक शाखाओनी सर्वाङ्गीण माहिती संक्षिप्त अने अधिकृत स्वरूपमां पीरसाय एवो आनो आशय छे." आ निवेदन एटलुं स्पष्ट छे के आपणे तेमां कशुं उमेरवानी के सूचववानी जरूर के जग्या रहेती नथी. एक वात स्पष्ट छ के आवी विचारसरणि तथा आवं काम, ‘स्वीकार'ना के 'सर्वसमावेशक' विचार
SR No.520572
Book TitleAnusandhan 2016 12 SrNo 71
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2016
Total Pages316
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size22 MB
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